हरियाणा में गेहूं के इस बीज की तेज़ी से बढ़ रही मांग, जानिए क्या है ख़ास? 

करनाल । हरियाणा में गेहूं का सीज़न आनेवाला है. कुछ ही दिनों में गेहूं की बुआई शुरू हो जाएगी और किसान गेहूं बोने लगेंगे, यानी दिवाली के आसपास गेहूं की बुआई शुरू हो जाएगी. लेकिन अब बड़ा सवाल ये है कि गेहूं की फसल के लिए बीज कैसा हो? किसान अच्छी पैदावार के लिए बेहतर किस्म का बीज बोना चाहते हैं. ऐसे में गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान किसानों की सहायता भी कर रही है. 

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खासकर, यहां विकसित करण वैष्णवी प्रजाति के गेहूं को किसान काफी सराहते हैं. इसे संस्थान में विकसित की गई अब तक की सबसे उन्नत किस्म भी थैली माना जाता है. हरियाणा ही नहीं, बल्कि पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश से लेकर देश के कई राज्यों तक से संस्थान के पास इसकी मांग लगातार पहुंच रही है. हजारों किसानों ने इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया के तहत पोर्टल पर पंजीकरण भी कराया है.

कृष्ण वैष्णवी नाम की इस प्रजाति को किसान बेहद पसंद करते हैं. इस प्रजाति को DBW-303 प्रजाति भी कहा जाता है. संस्थान की इस अब की सबसे उन्नत किस्म को 2021 में ही आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया गया है. इस प्रजाति की सबसे अधिक मांग है, जिसका कारण इससे होने वाली बेहद शानदार पैदावार है. विशेषज्ञों की मानें तो इसका उत्पादन 81.2 कुंटल प्रति हेक्टेयर है. जबकि औसतन आनुवांशिक उत्पादन क्षमता 93 कुंटल प्रति हेक्टेयर है.  

अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में बुआई के लिए बेहद फायदेमंद माने जाने वाली इस किस्म के दानों में जिंक और विटामिन सरीखे तत्वों की मात्रा बेहद अनुपात में होती है. इस किस्म के बीजों से किसानों का अच्छा उत्पादन तो होता ही है साथ में खाने वालों का कुपोषण भी दूर होता है. इसकी अगेती बुवाई के लिए 25 अक्टूबर से लेकर 5 नवंबर तक का समय निर्धारित रहता है. जबकि औसत उपज 81.1 कुंटल प्रति हेक्टेयर है.         

संस्थान के निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह के मुताबिक उन्नत बीज की हर साल अच्छी मांग रहती है. इस बार भी यही स्थिति है. पूरा प्रयास रहेगा कि अधिकतम किसानों को इन प्रजातियों का लाभ मिल सके. वहीं संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक (कृषि प्रसार) डा. अनुज कुमार ने बताया कि संस्थान में उन्नत की गई किस्में मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए उपयुक्त हैं. करण वैष्णवी की अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से नवंबर के पहले हफ्ते तक बुवाई करेंगे तो 145 दिन में फसल तैयार होगी. यह काफी बेहतर उत्पादन देगी. 

डा. अनुज के मुताबिक संस्थान हमेशा 15 अक्टूबर के आसपास किसान मेला आयोजित करता था. इसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा सहित अन्य राज्यों के काफी किसान आते थे लेकिन दूरदराज के किसान नहीं आ पाते थे. फिर कोविड भी आ गया. ऐसे में संस्थान ने नई पहल के तहत सीड पोर्टल की शुरुआत की. ताकि देश के बाकी राज्यों के किसानों को भी उन्नत बीज मिल सके. इससे मांग पूरी करने में कारगर मदद मिली है. 

गौरतलब है अब वक्त आ चुका है गेहूं की फसल की बुआई का. ऐसे में ये खबर किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है क्योंकि किसानों को यह जानना है की अच्छी किस्म का बीज कौनसा है? दिवाली के आसपास गेहूं की बुआई शुरू हो जाएगी. लेकिन अब बड़ा सवाल ये है कि गेहूं की फसल के लिए बीज कैसा हो? किसान अच्छी पैदावार के लिए बेहतर किस्म का बीज बोना चाहते हैं. ऐसे में गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान किसानों की ख़ूब सहायता कर रही है. 

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