अब रीडिंग लेते ही हाथों-हाथ मिलेगा बिजली बिल, विभाग ने शुरू की यह नई तकनीक

नारनौल | दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) ने बिजली मीटरों की रीडिंग लेने के लिए एक अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.अब इस नई तकनीक के अनुसार निगम के कर्मचारियों द्वारा स्पॉट बिलिंग थमाए जा रहें हैं. इस स्पॉट बिलिंग में मीटर रीडरों द्वारा CMRI नामक एक मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह मशीन हैंडहैल्ड कंप्यूटर यूज्ड मशीन है और मशीन के जरिए मीटर का डाटा मशीन में डाउनलोड हो जाता है। उसके आधार पर मशीन ही उपभोक्ता का बिल तैयार करती है, जिसका प्रिंट लेकर उपभोक्ता को मौके पर ही दिया जाता है. उपभोक्ता उस बिल को अदा करके रसीद ले सकता है.

SMART METER

तोड़ी जा रही है मीटर बॉक्स की सील

उपभोक्ताओं का कहना है कि विभाग मीटर रीडिंग के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है लेकिन इस प्रक्रिया में मीटर रीडरों द्वारा मीटरों के बॉक्स की सील को तोड़कर रीडिंग ली जा रही है. ऐसा करने से पहले मीटर रीडर भवन मालिकों से अनुमति भी नहीं लें रहें हैं.

जबकि बिजली विभाग के कानून के तहत मीटर बॉक्स की सील तोड़ना या उससे छेड़छाड़ करना अपराध की श्रेणी में आता है. बिजली विभाग की विजिलेंस टीम छापा मारकर इस अपराध के लिए उपभोक्ता पर भारी-भरकम जुर्माना भी लगा सकती है. ऐसे में उपभोक्ताओं में विभाग की प्रक्रिया की वजह से टूटी हुई मीटर सीलों को लेकर डर बना हुआ है.

जवाबदेही किसकी होगी

उपभोक्ता बलबीर, सुरेश, अनीता, सतबीर आदि ने बताया कि अबकी बार जब बिलिंग के लिए मीटर रीडर आया तो उसने मीटर की सील को ही तोड़ दिया. जब उसे मना किया गया तो उसने कहा कि बिजली विभाग द्वारा नई प्रक्रिया से बिल बनाएं जा रहे हैं. उपभोक्ताओं ने कहा कि बाद में उसने मीटर बॉक्स पर नई सील भी नहीं लगाई. ऐसे में विजिलेंस टीम द्वारा छापेमारी की जाएगी तो उसकी जवाबदेही किसकी होगी.

डरने की कोई बात नहीं

बिजली विभाग के एसडीओ विशाल राजपूत ने बताया कि नई मशीन से रीडिंग लेने के लिए मीटरों की सील तोड़ी जा रही है. इसके लिए बिजली उपभोक्ताओं को घबराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने बताया कि कई चालाक उपभोक्ता मीटरों से छेड़खानी कर रीडिंग कम कर देते थे लेकिन अब मीटर की असली रीडिंग लेने के लिए नई मशीन से रीडिंग लेना शुरू कर दिया है.

पहले मीटर रीडिंग देखकर बनातें थे बिल

पहले बिजली निगम द्वारा मीटरों की रीडिंग लेने के लिए मीटर रीडर भेजें जातें थे. यें रीडर रीडिंग को डेयरी में नोट कर लें आते थे और फिर उसी आधार पर निगम द्वारा बिजली बिल तैयार किए जाते थे. लेकिन अब पैटर्न बदल गया है और स्पॉट बिलिंग सिस्टम लागू कर दिया गया है.

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