डॉलर की मजबूती से बासमती उत्पादक किसानों की होगी बल्ले-बल्ले, 3000 से ऊपर रहेगा भाव

नई दिल्ली | वैश्विक स्तर पर रुपए की कमजोरी और डॉलर की मजबूती देशभर सहित हरियाणा के किसानों के लिए भी फायदे का सौदा साबित हो सकती है. ऐसे बासमती उत्पादक किसानों को लाभ पहुंच सकता है जो निर्यात की जाने वाली धान का उत्पादन करते हैं. विदेशों में खरीदारों को पिछले साल के मुकाबले डॉलर की मजबूती के कारण सस्ता चावल मिलेगा. ऐसे में वे जमकर खरीदारी करेंगे. डिमांड ज्यादा होने की वजह से बासमती ग्रुप की धान के भाव में बढ़ोतरी होने के पूरे आसार जताए जा रहें हैं.

basmati chawal rice

पिछले साल सऊदी अरब सहित कई देशों में लगभग 1,200 डॉलर प्रति की दर से एक क्विंटल चावल निर्यात किया गया था. विदेशी खरीदारों ने इस दर पर चावल खरीद कर आगे कीमत बढ़ाते बढ़ाकर इसकी बिक्री की. इस बार यही एक क्विंटल चावल निर्यातकों को रुपये की कमजोरी व डॉलर की मजबूती के कारण 1,050 रुपये में मिल रहा है, जिससे उन्हें मुनाफा मिलना निश्चित है. उन्हें प्रति क्विंटल 150 डॉलर की बचत होगी जिससे वे निश्चित तौर पर पहले से भी ज्यादा चावल खरीदने में रुचि लेंगे. इससे किसानों की बासमती ग्रुप की धान की कीमतें कम नहीं आएंगी.

इसका सीधा फायदा इंडिया से चावल खरीदने वाले विदेशी खरीदारों को होगा. इसका असर हरियाणा की मंडियों में भी भाव की तेजी के रुप में देखने को मिलेगा. परम्परागत बासमती का रेट 4,000-4,500 के बीच रहेगा तो वहीं, 1121 का भाव 3,200 से लेकर 3,800 रुपए तक रह सकता है जबकि बासमती किस्म 1718 का भाव 3,200 से 3,500 रुपए तक मिलने की संभावना है.

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ने भी इस बात पर सहमति जताते हुए कहा कि, डॉलर की मजबूती से निर्यात होने वाले धान के भाव में कमी नहीं आएगी. किसानों को धान की फसल का अच्छा भाव मिल सकता है. उन्होंने बताया कि हर साल इंडिया से 16 से 18 हजार करोड़ रुपए का चावल निर्यात होता है और इसमें हरियाणा की लगभग 17 लाख टन की हिस्सेदारी रहती है.

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