गैस और फ्री राशन पर मूल्यांकन करने की तैयारी में केंद्र सरकार, इस वजह से लिया फैसला

नई दिल्ली | केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और एलपीजी सब्सिडी पर दी जाने वाली सब्सिडी योजनाओं का मूल्यांकन कर सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, नीति आयोग के विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय ने 2 योजनाओं के मूल्यांकन के लिए एक केंद्रीय समन्वय एजेंसी के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं.

Gas Cylinder

30 फीसदी भूखमरी में हिस्सेदारी

इस प्रस्ताव में डीएमईओ ने कहा कि सरकार 2013 में लागू राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के माध्यम से दुनिया में सबसे बड़ी सार्वजनिक खाद्य और पोषण सुरक्षा लागू करती है. बड़े सरकारी व्यय के बावजूद भारत में खाद्य सुरक्षा और पोषण परिणामों में धीमी प्रगति हुई है. इसके बावजूद, वैश्विक भुखमरी में भारत की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है.

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता

बता दें कि एलपीजी सब्सिडी के मूल्यांकन के पीछे के तर्क को समझाते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है. भारत में एलपीजी की मौजूदा खपत केरोसिन की 1.13% की तुलना में कुल पेट्रोलियम उत्पादों का 12.3% हो गई है.

तेल और गैस की मांग में हुई बढ़ोतरी

दूसरी तरफ चल रही योजनाओं से संभावित रूप से एलपीजी का उपयोग और बढ़ेगा, जिससे उनका मूल्यांकन अनिवार्य हो जाएगा. प्रस्ताव के अनुसार भारत में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की खपत देश की ऊर्जा जरूरतों का एक तिहाई से अधिक है. तेल और गैस की मांग पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है.

इस वजह से उठाया कदम

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सरकार अपने खर्च पर नियंत्रण रखना चाहती है. इससे यह तय करने में भी मदद मिलेगी कि सही लाभार्थी को सब्सिडी का लाभ मिल रहा है या नहीं. वहीं, सरकारी खजाने पर हर साल करीब 4,00,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है. यही कारण है कि सरकार ने ऐसा कदम उठाया है. फिलहाल, आगे देखना होगा कि क्या निर्णय लिया जाता है.

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