दिल्लीवासियों को फिर से प्रदूषण का करना पड़ेगा सामना, आयोग ने लिया यह फैसला

नई दिल्ली | दिल्लीवासियों को फिर से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि शुक्रवार को दिल्ली के 15 इलाकों का सूचकांक खराब श्रेणी में रहा. हवा की गति कम होने और दिशा उत्तर-पश्चिम होने के कारण वातावरण में प्रदूषक कणों की मात्रा बढ़ गई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक शुक्रवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 195 रहा. इस स्तर पर हवा को मध्यम श्रेणी में रखा जाता है. गुरुवार को यह सूचकांक 121 था यानी 24 घंटे के अंदर इसमें 74 अंक की बढ़ोतरी हुई.

Air Pollution

200 के पार जा सकता है एक्यूआई

अनुमान है कि हवा की दिशा में बदलाव और गति कम होने के कारण अगले चार-पांच दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 के पार जा सकता है, यानी हवा ‘खराब’ श्रेणी में रह सकती है. दूसरी तरफ एनसीआर में वायु प्रदूषण रोकने के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने प्रदूषण फैलाने वाली बसों पर सख्त रुख अपनाया है.

आयोग ने लिया ये फैसला

आयोग ने कहा कि 1 नवंबर से दिल्ली और एनसीआर में ज्यादातर ईवी, सीएनजी और डीजल बसें चलेंगी. अगले साल 1 जुलाई से चेयरमैन के लिए ये नियम जरूरी होंगे. आयोग ने हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि दिल्ली जाने वाली और एनसीआर के अन्य शहरों के बीच चलने वाली बसें तय समय के भीतर स्वच्छ ईंधन से चलें. सर्दियों में एनसीआर में प्रदूषण का मुख्य कारण सार्वजनिक परिवहन बसें भी हैं.

पराली जलाने की 2974 घटनाएं की गई दर्ज

बता दें कि आयोग ने पहले फैसला सुनाया था कि एनसीआर में पांच साल के भीतर केवल ईवी बसें चलेंगी, जबकि ईवी और सीएनजी बसों को तीन साल तक चलने की अनुमति होगी. अस्थायी व्यवस्था की गई है कि ईवी, सीएनजी के अलावा डीजल बीएस-6 बसें चलाई जा सकें. एक महीने में पराली जलाने की तीन हजार घटनाएं दर्ज की गईं. 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक छह राज्यों में पराली जलाने की 2974 घटनाएं दर्ज की गई हैं

पराली का धुआं एनसीआर को करेगा परेशान

फिलहाल पराली का धुआं जल्द ही एनसीआर के लोगों को परेशान कर सकता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के मुताबिक, एक महीने में देश के छह राज्यों में पराली जलाने की करीब तीन हजार घटनाएं हुई हैं. इनमें से ज्यादातर घटनाएं पंजाब और हरियाणा की हैं. हरियाणा समेत देश के छह राज्यों में धान की फसल के बचे अवशेष को खेत में ही जला दिया जाता है.

इस दौरान हवा की दिशा उत्तर-पश्चिमी हो जाती है. इसके चलते पंजाब और हरियाणा से पराली का धुआं दिल्ली का दम घुटने लगता है. इसे रोकने के लिए पराली जलाने की घटनाओं पर सैटेलाइट के जरिए नजर रखी जाती है.

कहां कितने मामले

  • पंजाब- 1407
  • हरियाणा- 554
  • उत्तर प्रदेश- 328
  • मध्य प्रदेश- 419
  • राजस्थान- 264
  • दिल्ली- 2

नोट: आंकड़े 15 सितंबर से 18 अक्टूबर के बीच के हैं.

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