खट्टर सरकार ने माना- किसान आंदोलन में मरे 68 लोग, लेकिन नहीं देंगे आर्थिक सहायता

नई दिल्ली । नए तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में 68 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. हरियाणा सरकार ने यह जानकारी बजट सत्र के दौरान दी है. हरियाणा सरकार ने जानकारी देते हुए कहा कि दिल्ली बॉर्डर पर मारे गए 68 लोगों में से 51 लोगों की मृत्यु स्वास्थ्य संबंधित वजह से हुई है. साथ ही 15 लोग सड़क दुर्घटना में मारे गए हैं और दो लोगों ने आत्महत्या की है. मरने वाले लोगों में से 47 लोग पंजाब के हैं जबकि 21 लोग हरियाणा के हैं. हरियाणा सरकार ने साफ कह दिया है कि मरने वाले लोगों के परिवार वालों को कोई भी वित्तीय सहायता अथवा नौकरी देने का कोई विचार नहीं है.

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कांग्रेस पार्टी ने लगाया सरकार पर आरोप

आपको बता दें कि कांग्रेस विधायक इंदु राज नरवाल और अफताब अहमद ने इस मुद्दे को बजट सत्र में उठाते हुए प्रश्न किया था. परंतु प्रश्न पर चर्चा करने से तुरंत पहले ही प्रश्नकाल समाप्त हो गया. जिससे कांग्रेस के विधायकों को होम मिनिस्टर के लिखित उत्तर से ही काम चलाना पड़ा. इस मुद्दे पर राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान बहुत हंगामा हुआ. पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल, जो कांग्रेस की विधायक हैं, ने आरोप लगाते हुए कहा कि अन्नदाता सड़कों पर बैठे हैं, परंतु उनकी कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है.

किसानों की मृत्यु के लिए कांग्रेस जिम्मेदार -सरकार

हरियाणा सरकार की तरफ से यह कहा गया कि भोले भाले किसानों को मृत्यु के द्वार तक ले जाने के लिए और उन्हें आत्महत्या करने पर उकसाने के लिए कांग्रेस जिम्मेदार हैं. सरकार ने कांग्रेसी विधायकों पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु निसंदेह दुखदाई होती है, परंतु बॉर्डर पर मारे गए किसानों की मृत्यु के लिए तथाकथित नेता और कांग्रेस ही जिम्मेदार है, जिन्होंने बुजुर्ग किसानों को भी धरने पर बैठने के लिए उकसाया. भोले-भाले किसानों को उकसा कर मारने वाले नेताओं को देश की जनता कभी भी माफ नहीं करेगी.

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