क्या होता है ब्लैक बॉक्स, जाने यह कैसे बताता है हेलीकॉप्टर या प्लेन के क्रैश होने के कारण

नई दिल्ली । जो हेलीकॉप्टर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को कन्नूर से वेलिंगटन ले जाने के दौरान क्रैश हो गया था, उस mi-17 हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स मिल गया है. बता दें कि ब्लैक बॉक्स की कंडीशन अच्छी नहीं है. उम्मीद है कि इसके मिलने के बाद इसके अंदर जो डाटा रिकॉर्ड होगा, उससे पता चलेगा कि किन स्थितियों में यह दुर्घटना हुई.

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जानिए ब्लैक बॉक्स के बारे में

ब्लैक बॉक्स ऑरेंज कलर का होता है. हमेशा ही फ्लाइट के साथ हुई दुर्घटना का पता लगाने के लिए ब्लैक बॉक्स का उपयोग किया जाता है. बता दें कि इस ब्लैक बॉक्स में उड़ान के दौरान की सारी गतिविधिया रिकॉर्ड होती है. इसी वजह से इसे फ्लाइट डाटा रिकॉर्ड भी कहते हैं. इसे सुरक्षित रखने के लिए मजबूत धातु टाइटेनियम से बनाया जाता है. इसके भीतर की तरफ इस तरह से सुरक्षित दीवारें बनी होती है कि कभी भी किसी दुर्घटना के होने पर भी ब्लैक बॉक्स सेफ रहता है. ब्लैक बॉक्स को बनाने की कोशिश 1950 के शुरुआती दशक में होने लगी थी. विमानों की फ्रीक्वेंसी बढ़ने के साथ ही दुर्घटनाएं भी बढ़ रही थी. तभी से यह समझने का कोई भी तरीका नहीं था कि अगर कोई हादसा हो तो कैसे जाना जा सके कि किसकी गलती थी या ऐसा क्यों हुआ.

साल 1954 में एरोनॉटिकल रिसर्चर डेविड वॉर्नर नें इसका अविष्कार किया. तब इस बॉक्स को लाल रंग की वजह से रेड एग भी कहा जाता था. भीतरी दीवारें काली होने के कारण इस डिब्बे को ब्लैक बॉक्स कहा जाने लगा. वैसे यह अब तक भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस बॉक्स को ब्लैक क्यों कहा जाता है. क्योंकि इसका ऊपरी हिस्सा लाल या गुलाबी रंग का रखा जाता है. ऊपरी हिस्से को लाल या गुलाबी रंग का इसलिए रखा जाता है, ताकि झाड़ियों या कहीं धूल मिट्टी में गिरने पर भी इसके रंग के कारण यह दूर से दिखाई दे सके. अगर कभी दुर्घटना हो जाए तो ब्लैक बॉक्स से लगातार एक तरह की आवाज निकलती रहती है, जो खोजी दलों द्वारा दूर से ही पहचानी जा सकती है. बता दें कि समुद्र से 20000 फीट तक नीचे गिरने के बाद भी इस बॉक्स से आवाज और तरंगे निकलती रहती है और यह लगातार 30 दिनों तक जारी रहती है.

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