विश्व बैंक की मदद से साफ होगी हरियाणा, दिल्ली सहित आठ राज्यों की आबोहवा, 3 हजार करोड़ होंगे खर्च

नई दिल्ली | हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी और दिल्ली समेत 8 राज्यों में सर्द मौसम की शुरुआत के साथ ही प्रदुषण की समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है. इन राज्यों में कई जगहों पर तो प्रदुषण से हालात बेकाबू हो जाते हैं. ऐसे में प्रदुषण की इस समस्या को विश्व बैंक ने गंभीरता से लेते हुए हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव की प्राथमिक रिपोर्ट को स्वीकृति प्रदान की है. इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) 31 मार्च तक तैयार हो जाएगी.

World Bank

3 हजार करोड़ की मिलेगी मदद

इसके तहत सिंधु- गंगा मैदान के अंतर्गत आने वाले हरियाणा सहित आठ राज्यों में व‌र्ल्ड बैंक की मदद से प्रदूषण को कम किया जाएगा. स्पेशल हरियाणा को क्लीन एयर प्रोजेक्ट के लिए 3 हजार करोड़ रूपए की मदद दी जाएगी. इससे प्रदूषण फैलाने वाले कारक और वायु प्रदूषण के स्तर पर अध्ययन किया जाएगा.

इन राज्यों की साफ होगी आबोहवा

इस योजना के तहत ट्रांसपोर्ट, औद्योगिक, पराली जलने व धूल- मिट्टी सहित अन्य कारणों के प्रदुषण स्तर का पूरा डाटा एकत्रित कर उसके आधार पर प्रदुषण कम करने के उपायों पर काम किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक, सिंधु- गंगा मैदान के अंतर्गत आने वाले पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, दिल्ली, बिहार, झारखंड व बंगाल में सर्दियों के दिनों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या का रूप धारण कर लेता है. यहां एयरशेड बनता है.

इससे हिमालय पर्वत की वजह से सर्दियों के मौसम में कम तापमान होने की वजह से हवा का घनत्व ज्यादा हो जाता है. इस कारण हवा में मौजूद जलवाष्प से डस्ट पार्टिकल व अन्य पार्टिकुलेट मैटर मिलकर बड़े हो जाते हैं, जो हवा में ज्यादा ऊंचाई तक नहीं जा पाते. इस कारण इन मैदानी इलाकों में सर्दियों के मौसम में 200 से 300 मीटर की ऊंचाई से नीचे ही रहते हैं, जिससे प्रदूषण की एक परत सी बनती चली जाती है.

वर्ल्ड बैंक की ली जाएगी मदद

एचएसपीसीबी के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव ने बताया कि व‌र्ल्ड बैंक भारत के पहले स्टेट एयर क्वालिटी एक्शन प्लान और उसके साथ- साथ सिंधु- गंगा मैदान के अंतर्गत आने वाले राज्यों के लिए एयरशेड एक्शन प्लान तैयार करने में मदद करेगा. इसमें ऐसे कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी जो न्यूनतम लागत पर वायु प्रदुषण की मात्रा में अधिकतम कटौती करें और वह वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित हो.

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