हरियाणा का ऐसा हनुमान मंदिर, जहां सुनाई देता है रामनाम का जाप, जानिए अनोखे किस्से

अंबाला | हल्दरी गांव का पंचमुखी श्री हनुमान मंदिर 200 वर्षों से भक्ति और आस्था का केंद्र बना हुआ है. बता दें कि आज भी चमत्कारी और रहस्यमयी आवाजों के कारण लोगों की श्रद्धा और भक्ति का अटूट केंद्र बना हुआ है. ग्रामीणों के अनुसार पूरा गांव बजरंगबली की शरणस्थली रहा है. मंदिर में खड़े भक्तों को राम- नाम के जाप की आवाजें सुनाई देती हैं, साथ ही मंदिर में सो रहे पुजारी की चारपाई अक्सर रात में यहां कांपने लगती है. मगर कोई नजर नहीं आता है. यही कारण है कि कोई भी स्थायी पुजारी लंबे समय तक मंदिर में टिक नहीं पाया है. हालांकि यहां बहुत सारे पुजारी आए, लेकिन कोई भी डेढ़ महीने से ज्यादा नहीं टिक सका.

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जानिए क्या है मंदिर का इतिहास

लोगों का मानना ​​है कि यहीं रामकिशन दास महाराज को हनुमान जी के दर्शन हुए थे. दर्शन ही नहीं बजरंगबली उनसे यहां बात करते थे. उन्होंने खुद यहां लंबे समय तक श्री राम के नाम का जाप किया. कहा जाता है कि उनके बाद केवल बाबा सुशील गिरि ही यहां स्थायी रूप से रहे हैं. लोगों की माने तो बाबा रामकिशन दास के पास जितने भी भक्त आते थे वो कहते थे कि करलो यहां दर्शन, बजरंगबली यहीं पर बैठे हैं. वह यहां हर समय श्री राम के नाम का जाप करते थे. यहां से वे पसियाला गए और वहां भी हनुमान मंदिर की स्थापना की थी.

हाल ही में हुई ये दिलचस्प घटना

वर्तमान में मंदिर के रख-रखाव की जिम्मेदारी श्री बालाजी हल्दरी संस्था संभाल रही है. शासकीय हाई स्कूल हल्दरी में सचिव एवं शिक्षक पद पर कार्यरत पंडित पद्म शास्त्री का कहना है कि कुछ दिन पूर्व बृजमोहन अपने परिवार के साथ यहां टूंडला से पूजा के लिए आए थे. वह अक्सर हर त्योहार पर यहां आते हैं. दोपहर में पूजा-अर्चना करते समय उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने यहां आवाजें सुनीं कि कोई राम का जाप कर रहा है या दो लोग आपस में बात कर रहे हैं. लेकिन जब परिवार के अन्य सदस्यों ने बाहर आकर देखा तो वहां कोई नहीं था. बाद में जब सभी ने कार में बैठकर आपस में चर्चा की तो सभी ने इसकी पुष्टि की.

मीठे रोट का लगता है भोग

प्राचीन श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर में हर मंगलवार को शाम 6 से 7 बजे तक महाआरती होती है. प्रत्येक मंगलवार को सुबह 11 से 12 बजे तक बजरंगबली को मीठे रोट का भोग लगाया जाता है. 11 किलो आटे की एक सड़ांध तैयार की जाती है. फिर इसे संगत में बांटा जाता है.

यह हमारा सौभाग्य है कि बजरंगबली ने हमें इस मंदिर की सेवा करने का अवसर दिया है. बाबा रामकिशन दास महाराज ने यहां भगवान हनुमान के दर्शन किए थे. यहां आज तक किसी को भी स्थायी सिंहासन नहीं मिल सका क्योंकि इसके लिए सच्ची भक्ति और उपासना की जरूरत होती है. यहां आने वाला कोई भी पुजारी सो नहीं सकता क्योंकि रात में उनकी खाटें हिलने लगती हैं और हर समय उन्हें मंत्रोच्चार की आवाज सुनाई देती है.- पद्म शास्त्री, शिक्षक और श्री बालाजीधाम हल्दरी संस्था के सचिव

कहते हैं कि श्री बालाजी धाम हल्दरी संस्था मंदिर में रख-रखाव और पूजा के लिए प्रयासरत है. हमारी कोशिश रहती है कि भगवान श्रीराम और बजरंगबली की आस्था के इस केंद्र में यथासंभव सेवा की जाए. जहां तक ​​स्थायी पुजारी का संबंध है, वास्तव में कोई भी यहां स्थायी रूप से निवास नहीं कर सकता. यहां उन्हें न सिर्फ रात में खडाऊं आवाज सुनाई देती है, बल्कि यह भी कहते हैं कि खाट अपने आप हिलने लगती है. इसके अलावा हमने कई किस्से भी सुने हैं.- नरेश कुमार, प्रमुख श्री बालाजी धाम संस्था

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