बासौडा पर्व या शीतलाष्टमी 4 अप्रैल को, जाने क्यों किया जाता है पूजन

कुरुक्षेत्र । होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी या बासौडा का व्रत किया जाता है. इस साल यह व्रत 4 अप्रैल रविवार को किया जाएगा. बता दे कि ऐसी मान्यता है कि माता शीतला इस दिन प्रसन्न होती है. बच्चों की कई प्रकार की बीमारियों से रक्षा करती है. जिस दिन की होली होती है अगले आने वाले उसी दिन यह व्रत पड़ता है. इस व्रत को बसोड़ा व्रत भी कहा जाता है. इस व्रत में शीतला माता की पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष शीतला अष्टमी का व्रत चैत्र मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होता है.

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जाने शीतला अष्टमी के व्रत के महत्व के बारे में 

गायत्री ज्योतिष अनुसंधान के संचालक डॉ रामराज कौशिक ने बताया कि इस व्रत के  लिए तैयारियां सप्तमी से ही शुरू हो जाती है. इस व्रत में सप्तमी की रात को किचन की साफ सफाई करके खाना बनाया जाता है. उसके बाद अगले दिन सुबह सवेरे उठकर सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है . शीतलाष्टक का पाठ करें. इसके बाद इस व्रत में रात का बनाया हुआ बासी खाना मंदिर में शीतला माता को चढ़ाए. खाने में दही, राबड़ी, गुड और कई अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल होती है. इसके बाद होली की पूजा की जगह पर पूजा करें और घर आकर अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद ले.

शीतला माता को चावल और घी का भोग लगाया जाता है. इस भोग को एक दिन पहले तैयार किया जाता है. इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता. 1 दिन पहले बनाये गए भोजन का ही भोग लगाकर उसे ग्रहण किया जाता है. इस दिन सिर्फ बासी खाना ही खाना होता है. इस व्रत के  बाद से गर्मियां शुरू हो जाती है. गर्मियों के समय में बासी भोजन खाने से बीमारी होने का खतरा बना रहता है.

यह है शुभ मुहूर्त और पूजन का समय

शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्तः 06:08 सुबह से 06:41 सायं

अवधिः 12 घंटे 33 मिनट।

अष्टमी तिथि प्रारम्भः अप्रैल 04, 2021 को 04:12 सुबह

अष्टमी तिथि समाप्तः अप्रैल 05, 2021 को 02:59 सुबह

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