हरियाणा- हिमाचल की सीमा पर करोड़ों की लागत से बनाया जाएगा डैम, बाढ़ के पानी से मिलेगा छुटकारा

चंडीगढ़ | मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा- हिमाचल सीमा पर बनने वाले बांध के काम में तेजी लाने के आदेश दिए हैं. हरियाणा सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियंता RS मित्तल ने बताया है कि मुख्यमंत्री और सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश के बाद इस कार्य में तेजी लाई जा रही है. उन्होंने बताया कि हरियाणा की प्रदेश सरकार ने बांध बनाने के लिए एनओसी (NOC) के लिए हिमाचल सरकार को पत्र लिखा है.

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अभी तक हिमाचल ने एनओसी नहीं दी है. एनओसी के बाद एमओयू पर हस्ताक्षर होंगे. उसके बाद, प्रक्रिया को और तेज किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर बांध के निर्माण से सिंचाई विभाग को भी बड़ा लाभ मिलेगा जिसे हर साल बाढ़ रोकथाम कार्यों पर करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं.

CM खट्टर ने दिए काम में तेजी लाने के निर्देश

CM ने सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से कहा है कि हरियाणा- हिमाचल सीमा पर जल्द से जल्द बांध बनाया जाए ताकि हर साल हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल में बाढ़ से होने वाली तबाही से बचा जा सके. 5 राज्यों हरियाणा, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान को बांध के निर्माण के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर करना है.

वहीं, हरियाणा हिमाचल को बांध के निर्माण के लिए कई अन्य कदम उठाने होंगे. हरियाणा और हिमाचल की सीमा पर बनने वाले इस बांध से हरियाणा और हिमाचल के कुछ गांव प्रभावित होंगे, जिन्हें अन्य स्थानों पर बसाया जाना प्रस्तावित है. इनमें हरियाणा के चार और हिमाचल प्रदेश के पांच गांव शामिल हैं.

दरअसल, CM मनोहर लाल ने 2 साल पहले सिंचाई विभाग के अधिकारियों को हथिनी कुंड बैराज से करीब 5 किलोमीटर पहले हरियाणा- हिमाचल सीमा पर बांध बनाने की संभावना तलाशने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद, सिंचाई विभाग हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारियों की एक कमेटी बनाई गई. जिन्होंने मामले की प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत की. मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट से सहमति जताते हुए इस काम में तेजी लाने के निर्देश दिये हैं.

5400 एकड़ भूमि में बनेगा बांध

हालांकि, करीब डेढ़ साल पहले इस बांध के निर्माण पर 6,134 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था लेकिन, वर्तमान में यह रकम बढ़कर करीब 7000 करोड़ रुपये हो गई है. सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बांध स्थल का चयन कर लिया गया है जो 5400 एकड़ भूमि पर बनेगा.

इस बांध के बनने से हथिनी कुंड बैराज से पानी का इस बांध में आना बंद हो जाएगा, जिसे साल के 9 महीनों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान की मांग के अनुसार पूरा किया जा सकता है. बाढ़ रोकथाम कार्यों पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किये जाते हैं, यमुना के किनारों को पक्का करने पर, स्टड लगाने पर, अगर मांग के अनुरूप यमुना में पानी छोड़ा जाये तो बाढ़ रोकथाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

इसके अलावा, सरकार बाढ़ से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए हर साल करोड़ों रुपये का मुआवजा देती है. वह भी सरकार को नहीं देना होगा. हर साल हजारों एकड़ जमीन फसल समेत यमुना में समा जाती है, उसे भी बचाया जा सकता है.

बयानबाजी से मिलेगा छुटकारा…

यमुनानगर के हथिनी कुंड बैराज में हर साल जून से सितंबर के महीने में बाढ़ के कारण भारी मात्रा में पानी आता है जिसका हरियाणा और दिल्ली पर बुरा असर पड़ता है. इसी के चलते इस पर राजनीति हो रही है. दिल्ली ने हरियाणा पर पानी छोड़ने का आरोप लगाया जबकि हरियाणा का कहना है कि हथनी कुंड बैराज है, बांध नहीं है. जहां पानी को रोका जा सके. अगर बांध बन जाएगा तो इस तरह की बयानबाजी से भी हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा.

साल 1999 में बनाया गया था हथिनी कुंड

हथिनी कुंड बैराज की स्थापना 1999 में बंसीलाल सरकार द्वारा की गई थी. यह रिकॉर्ड 3 साल में पूरा हुआ. इस बैराज की स्थापना देश के 5 राज्यों हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में जल वितरण के लिए की गई थी. इसमें इन सभी 5 राज्यों के हिस्से का पानी है, जो सामान्य परिस्थितियों में नियमानुसार दिया जाता है.

यहां मानसून के दिनों में भारी बारिश के बाद पानी मापने की व्यवस्था है जिससे पता चल सके कि यहां से कितना पानी पार हुआ है. बैराज में 18 गेट हैं. बैराज की क्षमता 9 लाख 95000 क्यूसेक पानी संभालने की है. पानी कब और कितना आता है, यह सब हर 1 घंटे में नापकर कागजों में नोट किया जाता है. इसकी सूचना हरियाणा सिंचाई विभाग के साथ- साथ दिल्ली और उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार को भी भेजी जाती है.

इस बैराज में वह पानी आता है जो उत्तराखंड हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में बारिश के बाद नीचे मैदानी इलाकों में उतरता है. वर्ष के 9 माह में सामान्यतः 10 से 12,000 क्यूसेक पानी रहता है. जिसमें सभी राज्यों की अलग- अलग हिस्सेदारी होती है और समझौते के मुताबिक इसका बंटवारा होता है. इस मानसून में पहाड़ी और मैदानी इलाकों में अन्य सालों की तुलना में काफी बारिश हुई. जिसके चलते हथिनी कुंड बैराज के गेट लगातार 97 घंटे तक खुले रहे.

पिछले 50 साल के रिकॉर्ड में ऐसा कभी नहीं हुआ जब बैराज के गेट इतनी देर तक खुले रहे हों. वैसे तो हथिनी कुंड बैराज 1999 में बनाया गया था लेकिन उससे पहले ताजेवाला हेड वर्क्स था, उस दौरान भी ताजेवाला हेड वर्क्स के गेट इतने लंबे समय तक कभी खुले नहीं रहते थे.

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