हरियाणा सरकार ने दान की जमीन कानून मामले में किया बदलाव, यहाँ समझे पूरा मामला

चंडीगढ़ | हरियाणा की मनोहर सरकार ने पंचायती जमीन दान देने के नाम पर हो रहे बड़े फर्जीवाड़े पर पूरी तरह से रोक लगाते हुए बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने पंचायती जमीन दान देने के नाम पर हो रहे भूमि घोटाले के सारे दरवाजे बंद कर दिए हैं. प्रदेश सरकार के सामने साक्ष्य के रूप में तमाम ऐसी शिकायतें और दस्तावेज आए थे जिनमें हरियाणा दोहलीदार, बूटीमार, भोंडेदार और मुकरारीदार (मालिकाना अधिकार निहित) अधिनियम 2010 की आड़ में चहेतों को करोड़ों रुपए की अनमोल जमीन दान में बांटी गई है. प्रदेश भर में जब इससे संबंधित मामलों की जांच आगे बढ़ी तो हैरान करने वाले राज खुल कर सामने आए हैं.

Daan Ki Jameen Donated Land

हरियाणा सरकार द्वारा लिए गए फैसले के मुताबिक, कोई दोहलीदार (गरीब ब्राह्मणों, पुजारियों और पुरोहितों) ऐसी किसी भी जमीन का मालिकाना हक प्राप्त नहीं कर सकेंगे जो पंचायत के नाम पर हो तथा वह शहरी निकाय के अधीन आ चुकी है और प्रदेश सरकार के स्वामित्व वाली है. इसके अलावा, ऐसी जमीन जिसका मालिकाना हक सरकार के पास है भले ही वह जमीन कहीं पर भी मौजूद है और दोहलीदारों को आवंटित हैं उनके नाम नही हो सकेगी.

इसके अलावा, पंचायतों द्वारा जो जमीन दोहलीदारो को दान में दी जा चुकी है उस पर भी उनका मालिकाना हक नहीं होगा और ना ही वे इस जमीन की खरीद- फरोख्त कर सकेंगे. ऐसी जमीन पर सिर्फ काश्तकारी हो सकती है. बता दें कि हरियाणा बीजेपी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान साल 2018 में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में दोहलीदारों, बूटीमारों, भोंडेदार व मुकरारीदार को दान में मिली जमीन के मालिकाना हक को अनुचित ठहराया था. इसके बाद, सीएम मनोहर लाल के निर्देश पर तत्कालीन राजस्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने विधानसभा में संशोधक विधेयक पेश किया था जिसपर विपक्ष ने कड़ा ऐतराज जताया था.

उस समय सीएम मनोहर लाल ने राज्य वित्तायुक्त केशनी आनंद अरोड़ा को पूरे मामले की गहराई से जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए थे. इस रिपोर्ट में सामने आया है कि राजनीतिक रसूख रखने वाले लोगों ने प्रदेश के अधिकतर जिलों में पंचायती जमीन अपने चहेतों को दान में दे रखी है.

पुराने समय में ऐसा प्राविधान था कि पंचायती जमीन जिसको बोने के लिए गरीब ब्राह्मणों, पुजारियों और पुरोहितों को दान में दे दिया जाता था. इस पर इनका मालिकाना हक तो नहीं होता था लेकिन वह फसल से होने वाली आय से अपना जीवनयापन करते थे. इसी वर्ग के लोगों को दोहलीदार के नाम से जाना जाता था.

अब खट्टर सरकार के हाथ ऐसे डाक्यूमेंट्स लगे हैं जिनमें इस बेशकीमती जमीन को दोहलीदारों के नाम पर अलॉट दिखाया गया है. अलॉटमेंट के बाद संबंधित दोहलीदार को कुछ पैसे देकर रफा-दफा कर दिया गया और ऐसी जमीनों का इस्तेमाल पूंजीपतियों ने अपने दूसरे मक़सद के लिए करना शुरू कर दिया.

हरियाणा सरकार द्वारा किए गए कानून में संशोधन के बाद अब नई अधिसूचना जारी कर दी गई है. कानून एवं विधायी विभाग के प्रशासनिक सचिव बिमलेश तंवर की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि दोहलीदार को पंचायत या प्रदेश सरकार के स्वामित्व वाली भूमि का स्वामित्व अधिकार नहीं मिल पाएगा. हालांकि ब्राह्मण समाज के लोग दोहलीदारों को जमीन का मालिकाना हक दिलाने के लिए लंबे समय से सरकार से मांग कर रहे हैं.

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