हाईकोर्ट का फैसला: पहली पत्नी रजामंद तो दूसरी पत्नी विधवा पेंशन की हकदार

चंडीगढ़ । अगर किसी सैनिक की पहली पत्नी अपने अधिकार त्याग कर सैनिक की दूसरी पत्नी के पक्ष में पेंशन व अन्य लाभ का भुगतान करने की सहमति देती है तो सेना को सभी लाभ उसको देने होंगे. पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह आदेश भारतीय सेना के तोपखाने के रिकॉर्ड अधिकारी की अपील को खारिज करते हुए दिए. सैनिक मोहिंदर सिंह की पहली पत्नी ने तलाक के बगैर एक अन्य व्यक्ति से शादी कर ली थी.

HIGH COURT

बाद में मोहिंदर सिंह ने दलजीत कौर नाम की महिला से शादी कर ली. लेकिन सेना रिकॉर्ड में पहली पत्नी का ही नाम दर्ज था. जब दलजीत कौर ने मोहिंदर सिंह की विधवा होने के नाते पेंशन लाभ का दावा किया तो सेना ने मना कर दिया.

विवाद अंबाला जिले के निवासी तोपची रेजिमेंट के सेवानिवृत्त मोहिंदर सिंह की विधवा को लाभ देने का था. भारतीय सेना के तोपखाने में रिकॉर्ड अधिकारी द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका में अंबाला कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. पहली पत्नी ने बताया कि उसे 1964 में मोहिंदर सिंह ने छोड़ दिया था, जिसके बाद उसने करतार सिंह से दोबारा शादी कर ली. उन्होंने यह भी बयान दिया कि अगर पेंशन लाभ को दलजीत कौर के पक्ष में जारी किया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ती नही है.

इन आदेशों से रिकार्ड अधिकारी ने हाईकोर्ट के सामने अपील दायर कर चुनौती दी. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि मोहिंदर सिंह ने दलजीत कौर से शादी की थी और उनको चार बच्चे पैदा हुए थे. लेकिन सेना के अधिकारियों का कहना था कि पेंशन का लाभ दलजीत कौर को नहीं दिया जा सकता, क्योंकि बंत कौर ने कभी भी मोहिंदर सिंह को तलाक दिया था और सेना रिकॉर्ड में आज भी पत्नी के नाम पर बंत कौर का नाम दर्ज है.

सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने कहा कि जब पहली पत्नी दूसरी पत्नी के पक्ष में स्वेच्छा से बयान दे रही है तो सेना के अधिकारी दिवंगत सैनिक द्वारा अपनी पहली पत्नी को तलाक देने के प्रमाण पर जोर नहीं दे सकती. कोर्ट ने सेना को दूसरी पत्नी को सभी पेंशन व अन्य लाभ देने का आदेश जारी किया.

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