हरियाणा के लोगों को अब मिलेगा पर्याप्त पानी, हथिनी कुंड बैराज पर लिया बैठक में ये फैसला

चंडीगढ़ | हरियाणा के लोगों के लिए एक राहत भरी खबर आई है. हरियाणावासियों को अब जल संकट से नहीं जूझना पड़ेगा. साथ ही, भविष्य में उन्हें पानी के लिए परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. दरअसल, यमुनानगर जिले के प्रतापनगर ब्लॉक में यमुना नदी पर स्थित हथिनी कुंड बैराज पर एक लाख क्यूसेक पानी आने के बाद ही हरियाणा- उत्तर प्रदेश की नहरों की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी.

Water Pine Ka Pani Nal

70 हजार क्यूसेक के बाद नहरों की सप्लाई बंद कर दी जाती थी. ऐसे में हरियाणा के कई जिलों को जल संकट का सामना करना पड़ता है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा इससे उन्हें काफी फायदा होगा.

बैठक में लिया गया ये फैसला

बता दें कि यमुनानगर में स्थापित हथिनी कुंड बैराज हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में जल वितरण में प्रमुख भूमिका निभाता है. पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात की वजह से हथिनी कुंड बैराज का इस समय जलस्तर बढ़ गया है. इससे पहले हथिनी कुंड बैराज पर यमुना का जलस्तर 70 हजार क्यूसेक तक पहुंचने के बाद हरियाणा और उत्तर प्रदेश की नहरों में पानी की सप्लाई पूरी तरह से बंद कर दी गई थी.

आपकी जानकारी के लिए बता दिया जाए कि अब सीडब्ल्यूसी की बैठक में हरियाणा और उत्तर प्रदेश की नहरों में 70 हजार की जगह एक लाख क्यूसेक पानी होने पर पानी की सप्लाई बंद करने का फैसला लिया गया है. इससे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई जिलों को तब तक पानी मिलता रहेगा जब तक कि यमुना का जलस्तर एक लाख क्यूसेक तक नहीं पहुंच जाता.

गेटों और चैनलों की हो चुकी है सफाई

सिंचाई विभाग के एक्सईएन संदीप कुमार ने बताया कि बरसात का मौसम शुरू होने से पहले हथिनी कुंड बैराज का पानी डायवर्ट करने समेत अन्य कार्य सुचारु रूप से किए जाते हैं. इस बार भी सभी गेटों और चैनलों की सफाई कर दी गयी है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में जिले में 31 बाढ़ रोकथाम कार्यों को मंजूरी दी गई, जिनमें से 17 कार्य पूरे हो चुके हैं. बाकी पर काम चल रहा है और ज्यादातर काम 30 जून तक पूरा हो जाएगा, लेकिन कुछ काम 6 से 7 जुलाई तक ही पूरा हो पाएगा.

1996 से 1999 के बीच हुआ था हथिनी कुंड बैराज का निर्माण

गौरतलब है कि हथिनी कुंड बैराज यमुना नदी पर स्थित एक कंक्रीट बांध है. अक्टूबर 1996 से जून 1999 के बीच इसका निर्माण सिंचाई के लिए किया गया था. इसका निर्माण वर्ष 1873 में ताजेवाला लाराज पर अवसादन के बाद किया गया था जो नदी के मार्ग में इससे लगभग तीन किमी आगे आता है. इसकी सीमा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल और हरियाणा के साथ लगती है.

हरियाणा के कई इलाकों में पानी की सप्लाई बंद होने से काफी नुकसान हुआ जिसके चलते लंबे समय से मांग की जा रही थी कि जलस्तर और बढ़ने पर यमुना की सप्लाई रोक दी जाए. अब एक लाख क्यूसेक पानी होने पर ही हरियाणा और उत्तर प्रदेश की नहरों की सप्लाई बंद कर दी जाएगी- आरएस मित्तल, अधीक्षण अभियंता, सिंचाई विभाग

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