कल और परसों 2 दिन मनाया जाएगा जन्माष्टमी त्यौहार

कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर हर बार की तरह इस बार भी सबके मन में उल्लास भरा हुआ है. परन्तु, कोरोना संक्रमण के कारण इस बार इस त्योहार की रौनक भी पहले की अपेक्षा कुछ फीकी दिखाई दे रही है. इस बार कोरोना को देखते हुए मथुरा में हर वर्ष होने वाली रासलीला व महाराष्ट्र के दहीहांडी उत्सव पर भी प्रतिबंध लगाया गया है परंतु अपने- अपने घरों में कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारी धूमधाम से चल रही है. उलझन इस बार भी यही है कि आख़िर जन्माष्टमी 11 को है या 12 तारीख को. तो इस बार भी यह त्योहार बीते वर्षों की भांति दोनों दिन मनाया जाएगा.

Janmastmi

क्यों मनाया जा रहा है यह पर्व 2 दिन?

वैसे तो भादों महीने की अष्टमी को कृष्ण जन्म के उत्सव में यह त्यौहार मनाया जाता है. परन्तु नन्दगाँव में सावन महीने की पूर्णमासी से आंठवे दिन ही जन्माष्टमी मनाने की प्रथा है. जिसके चलते हर बार 2 तारीखों पर यह मनाया जाता है.

मंदिरों में नहीं जमा होगी भीड़

कोरोना के चलते इस बार मंदिरों में सोशल डिस्टनसिंग का पालन कड़ाई से किया जाएगा व मथुरा के मंदिरों में प्रसाद भी नही बंटेगा. साथ ही, नन्दगाँव में भी हर वर्ष जो खुशी के लड्डू बांटे जाते हैं वो भी नहीं बांटे जाएंगे.

कब है पूजा का शुभ मुहूर्त?

इस बार जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र होगा. जिसके बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा जो 12 अगस्त को होगा. जिस कारण 12 अगस्त को इस पर्व को मनाना ज्यादा सही है. इस दिन पूजा का मुहूर्त रात 12 बजकर 5 मिनेट से 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. मथुरा व अधिकतर जगहों पर रोहिणी नक्षत्र के कारण 12 अगस्त को ही यह त्यौहार मनाया जाएगा. इस दिन भगवान कृष्ण को माखन व मिश्री का भोग लगाना चाहिए तथा उन्हें पंचामृत अर्पण करना चाहिए.

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