दोहरी मार झेलता हरियाणा का सरसों उत्पादक किसान, MSP से भी कम मिल रहा भाव

फतेहाबाद | हरियाणा में सरसों उत्पादक किसान इस बार बदहाली के आंसू रो रहा है. पहले किसान को सर्दी (पाला) ने चोट पहुंचाई और अब उसे मंडी में सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तक नहीं मिल रहा है. मजबूरी में किसान अपनी फसल को औने- पौने दामों में बेच रहे हैं. ऐसे में सरसों उत्पादक किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है.

mustered mandi sarso

बीते सालों में किसानों को सरसों का भाव MSP से भी कहीं ज्यादा मिला था और किसानों ने अपनी फसल 6-7 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बेची थी लेकिन इस बार ऊंचा भाव तो दूर की बात है, उन्हें सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है. हैफेड के अधिकारी ने बताया कि सरसों में नमी की मात्रा ज्यादा और तेल की कम होने की वजह से किसानों को पूरा भाव नहीं मिल रहा है. पिछले साल के मुकाबले इस बार किसानों को प्रति क्विंटल 3 हजार रुपए तक कम भाव मिल रहा है.

वहीं, पिछले साल सरसों का भाव और उत्पादन दोनों अच्छा रहने से प्रदेश में किसानों की रूचि सरसों की फसल की ओर बढ़ी है. लेकिन इस बार भाव नहीं मिलने से किसानों के चेहरे मुरझाए हुए हैं. हालांकि, सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी जिसके बाद भाव बढ़कर 5450 रुपए हो गया है. लेकिन, मौसम की मार ने किसानों को बुरी तरह से प्रभावित किया है.

यह भी देखे: आज का सरसों का भाव

इस बार सरसों बिजाई के समय से ही अधिक सर्दी और बाद में पाला जमने से तापमान में गिरावट दर्ज हुई थी जिसके चलते सरसों की फली में दाना पूरी तरह पका ही नहीं और इससे उत्पादन में गिरावट देखने को मिलीं. आमतौर पर 18-20 मन प्रति एकड़ सरसों की अच्छी औसत मानी जाती है लेकिन इस बार यह 15-18 मन तक ही रहा.

वहीं, अगेती बिजाई की गई सरसों मंडियों में पहुंच चुकी थी लेकिन सरकार ने सरकारी खरीद 28 मार्च से शुरू करने की योजना बनाई थी. ऐसे में फसल लेकर मंडियों में पहुंचे किसानों से व्यापारियों ने मनमाफिक दाम पर सरसों खरीदी. यही वजह रही कि सरसों की आवक को देखते हुए सरकारी खरीद 28 मार्च की बजाय 15 मार्च से शुरू करने का फैसला लिया गया ताकि निजी व्यापारियों के शोषण से किसानों को बचाया जा सके.

वहीं, सरकारी खरीद शुरू होने पर भी किसानों की मुश्किलें कम नहीं हो रही है. हैफेड के अधिकारी ने बताया कि उन्हें सिर्फ 8% नमी तक ही सरसों खरीद के आदेश है जबकि इस बार सरसों में नमी ज्यादा है और तेल का रेशा कम है. ऐसे में किसानों को मजबूरन अपनी फसल निजी व्यापारियों को बेचनी पड़ रही है. सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रुपए प्रति क्विंटल हैं लेकिन किसानों को प्राइवेट मंडियों में भाव 4200 से 5 हजार रुपए तक ही मिल रहा है. यानि कि MSP से भी कम भाव पर किसान फसल बेचने पर मजबूर हो गया है.

हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!