गर्मी में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के महंगा होने के आसार, ये हैं बड़ी वजह

हिसार । मार्च माह आते-आते सूर्य देवता रौद्र रूप दिखाने लगा है और धीरे-धीरे दिन के तापमान में बढ़ोतरी से लोगों को गर्मी का एहसास अभी से होने लग गया है. तापमान में बढ़ोतरी का असर इलैक्ट्रोनिक्स उत्पाद पर भी देखने को मिलने लगा है. कारोबारियों का कहना है कि जिस तरह की स्थिति अभी से नजर आ रही है, उसको देखते हुए आने वाले दिनों में इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद 20 से 40% तक महंगे हो जाएंगे क्योंकि पिछले 15 दिनों के दौरान कच्चे माल की कीमत में खासी बढ़ोतरी हुई है.

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कच्चे माल की कीमत में बढ़ोतरी की एक वजह और बताई जा रही है कि चाइना से आने वाले सामान पर पैनी नजर रखी जा रही है. कॉपर का भाव 15 से 20% तक बढ़ गया है. पेट्रोल-डीजल की कीमतें पहले से ही आसमान छू रही है. आमजन के बीच एक और आशंका बनी हुई है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने पर इनकी कीमतों में फिर से बढ़ोतरी होगी.

ठीक ऐसे ही हालात पीवीसी दाना और एल्यूमीनियम का भी है. टोटली देखा जाएं तो अभी से मौसम की तपिश को देखते हुए ज़रुरत के हिसाब से खरीदारी करने में ही भलाई समझी जा सकती हैं. कुल मिलाकर महंगाई की मार उद्यमी से लेकर आम आदमी की जेब पर पड़ने वाली है.

बाजार में खरीदार हो रहे हैं कम

बाजार कारोबारियों का कहना है कि जो पंखा साल भर पहले तक 800 से 1000 रुपए कीमत का था, आज वही पंखा 900 से 1100 रुपए तक मिल रहा है. जबकि अभी तो गर्मी की शुरुआत भी नहीं हुई है. ठीक ऐसे ही कूलर, फ्रिज, एसी के दाम में वृद्धि हो रही है. कुल मिलाकर मौजूदा समय में गर्मी की तपिश के साथ ग्राहकों की जेब ढीली होने का काम अभी से शुरू हो गया है.

दूसरी तरफ कारोबार में डिमांड पर नजर रखते हुए बहुत से लोग इन दिनों में खास तौर पर सक्रिय हो जाते हैं जो कि डिमांड के हिसाब से कच्चे माल का स्टॉक कर लेते हैं. इस वजह से भी दामों में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसका असर पूरे बाजार पर देखने को मिलता है.

कच्चे माल की बढ़ी कीमत

शोरुम संचालक नरेंद्र चावला ने बताया कि चीन के साथ सीमा पर तनातनी का असर साफ नजर आ रहा है. वहां से आने वाली सप्लाई चेन पिछले दो साल से प्रभावित रही है. मार्केट हिसाब से वहां से आने वाला माल सस्ता मिल जाता था. मगर अब माल नही आ रहा है तो कुछ उत्पादों की शॉरटेज भी नजर आ रही है. छोटी कंपनियां डिमांड के मुताबिक कार्य नहीं कर पा रही. जबकि, बाजार की बड़ी कंपनियों से मांग की पूर्ति नहीं हो पा रही । इस वजह से भी असंतुलन बना हुआ है.

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