हरियाणा के जींद जिले ने दिखाई भाईचारे की ताकत, एक ही दिन में 3 गांवों में सर्वसम्मति से चुने सरपंच

जींद | रविवार का दिन जींद जिले के नाम रहा जहां तीन गांवों में ग्रामीणों ने भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए पूरे हरियाणा के लिए एक संदेश दिया है. इन तीनों गांवों के ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से सरपंच व पंचों का चुनाव कर एक बड़ा संदेश दिया है कि भाईचारे से बढ़कर कुछ नहीं होता है. ऐसा ही एक उदाहरण पिछले सप्ताह ज़िले के गांव रुपगढ़ ने दिया था जहां ग्रामीणों ने आपसी सहमति से सरपंच व पंचों को चुना था.

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बता दें कि जींद जिले के गांव हैबतपुर में रिषीपाल सिहाग, दरोली खेड़ा में सुमन और गांव हसनपुर में रीना के नाम पर ग्रामीणों ने अपनी सहमति जताई है. गांवों की पंचायत में ग्रामीणों ने फैसला लिया है कि जिन नामों पर सहमति बनी है उनके ही नामांकन दाखिल करवाएं जाएंगे. इस गांवों के ग्रामीणों ने कहा कि राजनीति में पड़कर हमें अपने भाईचारे को खत्म नहीं करना है. 36 बिरादरी का भाईचारा कायम रहें इसलिए हमने ऐसे ऐतिहासिक फैसले लिए हैं.

हैबतपुर में रिषीपाल सिहाग के नाम पर सहमति

रविवार को हुई पंचायत में 2160 मतदाताओं के गांव हैबतपुर ने भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए रिषीपाल सिहाग के नाम पर सहमति जताई. इसके साथ ही ग्रामीणों ने 11 पंचों का चयन भी सर्वसम्मति से किया है. लगभग पांच घंटे की पंचायत में सभी बिरादरी के लोगों ने सरपंच व पंचों के एक-एक नामों पर सहमति प्रकट करते हुए भाईचारे का उदाहरण पेश किया.

दरोली खेड़ा ने रचा इतिहास

बता दें कि उचाना विधानसभा क्षेत्र के गांव दरोली खेड़ा की गिनती संवेदनशील गांवों में होती है लेकिन इस बार ग्रामीणों ने भाईचारे की पंचायत करते हुए सर्वसम्मति से सरपंच चुनने का ऐतिहासिक फैसला लिया है. दरोली खेड़ा गांव पहली बार सर्वसम्मति से सरपंच चुनने का इतिहास रचने जा रहा है. पंचायत में फैसला लिया गया कि सरपंच पद को लेकर गांव से एक ही नामांकन फार्म सुमन पत्नी राजेश कुमार का भरा जाएगा. इसके साथ ही इस गांव के लोगों ने दूसरे गांवों को भी यह संदेश देने की कोशिश की है कि सर्वसम्मति से गांव का भाईचारा मजबूत रहेगा.

भाई तेरी लुगाई सरपंच बना दी

जिले के गांव हसनपुर में रीना पत्नी कप्तान को सर्वसम्मति से सरपंच चुनने को लेकर पंचायत हो रही थी तो वहीं कप्तान इस बात से बेखबर खेत में धान कटाई के काम में व्यस्त था. गांव के कुछ लोग कप्तान ढाका के पास पहुंचे और कहा कि भाई तेरी घरआली सरपंच बना दी है. इस पर कप्तान ने कहा कि भाई क्यूं मजाक कर रहे हों, हम तो सरपंच बनने की रेस में भी नहीं थे लेकिन जब कप्तान गांव पहुंचा तो गांव वालों ने लड्डू खिलाकर उनका मुंह मीठा कराया. तब जाकर उन्हें यकीन हुआ कि ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से उनकी पत्नी को सरपंच चुन लिया है.

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