कपास भाव 9 हजार रुपए पहुंचने के बाद भी किसानों में मायूसी, जानें क्या है वजह

उचाना । इस साल कपास की फसल में आई गुलाबी सुंडी ने कपास उत्पादन को बुरी तरह से प्रभावित किया है. बीते साल की अपेक्षा इस बार मंडी में कपास की आवक 64% तक कम हुई है. किसानों का कहना है कि गुलाबी सुंडी के प्रकोप ने इस बार कपास की फसल को बर्बाद कर दिया जिससे उनको प्रति एकड़ 20 से 25 हजार रुपए का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. कपास उत्पादन में कमी का असर कीमतों पर भी दबाव बढ़ा रहा है.

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मार्केट कमेटी के रिकार्ड के अनुसार पिछले वर्ष इस समय तक 3 लाख 80 हजार 503 क्विंटल कपास की आवक मंडी में हुई थीं लेकिन इस बार अब तक 1 लाख 36 हजार 962 क्विंटल कपास की आवक मंडी में हुई है. हालांकि बीते सालों की अपेक्षा इस बार कपास का अच्छा-खासा भाव किसानों को मिल रहा है जिसके चलते कुछ हद तक कम उत्पादन की वजह से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई हुई है. वीरवार को भाव 9750 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था जबकि शुक्रवार को 9600 रुपए प्रति क्विंटल का भाव रहा.

किसानों ने बताया कि कि इस बार कपास का उत्पादन क्षेत्र में बहुत कम हुआ है. बेमौसमी बारिश और गुलाबी सुंडी ने कपास उत्पादन को सीधा प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि भाव अच्छा मिलने से कुछ हद तक कम उत्पादन की भरपाई हुई है. इस साल कपास का भाव 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है.

किसानों का कहना है कि बीते सालों की तरह इस बार कपास का उत्पादन अच्छा हुआ होता तो भाव में तेजी का किसानों को खूब फायदा मिलता और किसान आर्थिक रूप से मजबूत होता. मार्केट कमेटी सचिव नरेंद्र कुंडू ने बताया कि इस बार बेमौसमी बारिश और गुलाबी सुंडी ने कपास उत्पादन को प्रभावित किया है. हालांकि बीते सालों की अपेक्षा इस बार कपास के भाव में तेजी दर्ज की जा रही है, जिससे कुछ हद तक किसानों को आर्थिक नुकसान से राहत मिली है.

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