Gangaur 2021: जानिए गणगौर के व्रत की विधि और महत्व के बारे में

नई दिल्ली । हिंदू समाज में चैत्र शुक्ल तृतीया का दिन गणगौर पर्व (Gangaur 2021) के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व विशेष तौर पर महिलाओं के लिए होता है. इस दिन भगवान शिव ने पार्वती जी को तथा पार्वती जी ने समस्त स्त्री समाज को सौभाग्य का वरदान दिया था. शिव- पार्वती हमारे आराध्य हैं. इस दिन सभी सुहागिने दोपहर तक व्रत रखती है. महिलाएं नाच – गाकर पूरे हर्षोल्लास के साथ या त्यौहार मनाती हैं.

Gangaur 2021

जानिए इस व्रत की विधि

चैत्र कृष्ण की एकादशी को प्रातः स्नान करके, गीले वस्त्रों में ही रहकर घर के ही किसी पवित्र स्थान पर लकड़ी की बनी टोकरी में जवारे बोनी चाहिए.

बता दें कि इन जवारो को ही देवी गौरी और शिव का स्वरूप माना जाता है. जब तक गोरी जी का विसर्जन नहीं होता, तब तक प्रतिदिन दोनों समय गोरी जी की विधि विधान से पूजा की जाती है और उन्हें भोग लगाया जाता है. गौरीजी की स्थापना पर सुहाग की वस्तुओं जैसे कांच की चूड़ियां, सिंदूर, महावर,मेहंदी, टीका,बिंदी,कंघी, शीशा,काजल,आदि चढ़ाई जाती है. सुहाग की सामग्री को चंदन,अक्षत, धूप -दीप आदि से विधिपूर्वक पूजन कर गोरी जी को अर्पण की जाती है.

इसके पश्चात गौरीजी को भोग लगाया जाता है. भोग के बाद गौरीजी की कथा कही जाती है. कथा सुनने के बाद गौरीजी पर चढ़ाए हुए सिंदूर से विवाहित स्त्रियों को अपनी मांग भरनी चाहिए. कुँआरी कन्याओं को चाहिए कि वे गौरीजी को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें. चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) को गौरीजी को किसी नदी, तालाब या सरोवर पर ले जाकर उन्हें स्नान कराएं. चैत्र शुक्ल तृतीया को भी गोरी -शिव को स्नान करा कर, उन्हें सुंदर आभूषण पहना कर डोल या पालने में बिठाए.

इसी दिन शाम को गाजे-बाजे से नाचते गाते हुए महिलाएं और पुरुष भी इस समारोह मे गोरी शिव को नदी तालाब या सरोवर पर ले जाकर विसर्जित करते है. इस दिन शाम को उपवास खोला जाता है.

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