कभी रेहड़ी में बेचते थे सब्‍जी और अब माॅल में डिमांड, जानें कैथल के इस किसान ने कैसे बदली तकदीर

कैथल । कैथल के सांच गांव के किसान कुलवंत सिंह ने अपनी मेहनत के दम पर अपनी तकदीर बदल डाली. वह कभी रेहड़ी पर सब्जियां बेचा करता था. अब उनकी सब्जियों की मॉल्स में डिमांड है. बता दे कि वह 20 एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं और सालाना 15लाख से 20लाख रुपए कमाई करते हैं .

KAITHAL NEWS

जानिये, कुलवंत सिंह का रेहडी से मॉल तक का सफर 

कुलवंत सिंह ने बताया कि उन्होंने 2 एकड़ से जैविक खेती की शुरुआत 2004 में की थी. शुरुआत के दिनों में बचत कम हुई. वह खेत में तैयार सब्जिया आसपास के क्षेत्रों में रेहड़ी में बेचकर गुजारा किया करते थे. बाद में जैसे-जैसे उनकी आमदनी बढ़ने लगी, धीरे-धीरे इस क्षेत्र में विस्तार होने के साथ-साथ उन्होंने कृषि यंत्र भी खरीदें. उन्होंने सब्जियों, मशरूम, देसी गेहूं व फल बेचने की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि बाद में जैविक सब्जियों की मांग बढ़ने लगी, जिससे उनका हौसला भी बढ़ा. इसके बाद उन्होंने दिल्ली, पंचकूला, पटियाला के बड़े मॉल में फसलों की सप्लाई शुरू कर दी, जिससे उनका कारोबार बढ़ता चला गया. जैविक फसलों की बिक्री के लिए किसानों के एक समूह में भी काम कर रहे हैं.

बता दें कि जीवन ज्योति एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर कंपनी के नाम से कुलवंत सिंह ने अब एक कंपनी भी खड़ी कर ली है. जिससे 500 से ज्यादा किसानों को जोड़ा गया है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के सहयोग से कस्टम हायरिंग सेंटर लिया हुआ है इस कस्टम हायरिंग सेंटर में हैप्पी सीडर मशीन, दो कंप्यूटर, गोडी,एक हैरो, एक स्ट्रा रीपर, दो रोटावेटर इत्यादि मशीनें किराए पर देकर अच्छी आमदनी हो रही है.

कंपनी बनाकर 500 किसानों को कंपनी से जोड़ा 

जैविक फसलों से बीमारियां कम फैलती है. उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद के साथ तीन कर्मचारियों को कामकाज में लगाया. फिर उन्होंने एक कंपनी भी बनाई जिससे 500 किसानों को जोड़ा गया. जैविक खेती के जरिए घर  की सब्जियों को बाहर भेजा जा रहा है. अन्य राज्यों के व्यापारी उसके खेत से ही फसल ले जाते हैं. प्रगतिशील किसान कुलवंत सिंह देसी गेहूं,मटर, मशरूम इत्यादि चीजों की जैविक खेती करते हैं. उन्होंने कहा कि अब उन्हें गेहूं या धान की एमएसपी को लेकर कोई भी चिंता नहीं है. उनकी जैविक फसलें हाथों-हाथ अच्छे दामों पर बिक जाती हैं.

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