कैथल में अनोखी कावड: पहुची 165 फीट लंबा कांवड़ तिरंगा; जानिए कौन था पहला कावड़िया

कैथल | हरियाणा के कैथल में महा शिवरात्रि का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. मंदिरों में शिवभक्तों की भीड़ बढ- चढ़कर उमड़ रही है. अब कांवड़िये भी वहां पहुंचने लगे हैं. कैथल के प्रसिद्ध शिव मंदिर श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर, हनुमान वाटिका, अंबकेश्वर मंदिर और शिव शक्ति धाम मंदिर में भक्त भगवान भोले का जलाभिषेक कर रहे हैं. इसी कड़ी में हरिद्वार से युवाओं द्वारा लाया गया 165 फीट लंबा कांवड़ तिरंगा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

Kaithal Tiranga

तिरंगा व कावड़ लाने में आया 2 लाख रुपये का खर्च

सीवन के युवा इस अनोखी कांवड़ को लेकर कैथल पहुंचे हैं, जो शाम को सीवन के शिव मंदिर में जलाभिषेक करेंगे. आपको बता दें कि तिरंगे व कांवड़ को लाने में 2 लाख रुपये खर्च हुए हैं. इस कांवड़ के साथ वे 50 लीटर गंगाजल लेकर आए हैं. तिरंगा कावड़ लाने वाली टीम में शामिल रामकरण सैनी, विकास सैनी, दीपक सैनी, नान्हू, नरेश और दर्शन सैनी ने बताया कि सीवन से 25 युवा तिरंगा कावड़ लाने के लिए हरिद्वार के लिए निकले थे.

आकर्षक का केन्द्र बना तिरंगा

वह 165 फीट लंबी तिरंगा यात्रा और 50 लीटर गंगाजल लेकर कैथल पहुंचे हैं. यह कांवड़ लेने के लिए वह 10 दिन पहले 5 जुलाई को हरिद्वार के लिए निकला था. अब 11वें दिन वापस कैथल पहुंचा है. कांवड़ लाने का उनका मकसद भगवान शिव से देश और प्रदेश में शांति की प्रार्थना करना है. इस बार शिवरात्रि पर तिरंगा कांवर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

जानिए कौन है पहला कावड़िया

पिछले दो दशकों से कावड़ यात्रा की लोकप्रियता बढ़ी है और अब समाज का उच्च एवं शिक्षित वर्ग भी कावड़ यात्रा में भाग लेने लगा है लेकिन क्या आप जानते हैं कावड़ यात्रा का इतिहास… कौन थे पहले कावड़िये? इसे लेकर अलग- अलग क्षेत्रों में अलग- अलग मान्यताएं हैं. आइए विस्तार से जानते हैं.

वेब दुनिया के मुताबिक, कुछ लोग पहला कावड़िया परसुराम, कुछ श्रवण कुमार को मानते हैं तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भगवान राम को व कुछ रावण को भी पहला कावड़िया मानते हैं. इसके अलावा, कुछ लोग अन्य भगवान व महापुरुषों को पहला कावड़िया मानते हैं.

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