हरियाणा का ऐसा रोटी बैंक जहां हजारों गरीब लोगों की मिटती है भूख, पुलिसकर्मियों द्वारा शुरू की गई पहल आज बनी मिसाल

कुरुक्षेत्र | अभी तक आपने ब्लड बैंक या फिर पैसों के लेनदेन वाले बैंक का ही जिक्र सुना होगा लेकिन क्या आपने कभी रोटी बैंक के बारे में सुना हैं. जी हां, ऐसी जगह जहां रोजाना हजारों रोटियां जमा की जाती है ताकि किसी गरीब को को भूखे पेट सोने की नौबत न आए. इसी तरह का एक रोटी बैंक हरियाणा पुलिस के कुछ कर्मी चला रहे हैं जो हर तरफ सुर्खियों में छाया हुआ है.

Roti Bank

हरियाणा पुलिस विभाग रोटी बैंक

आंकड़ों के मुताबिक, प्रति वर्ष दुनिया भर में हजारों लोग भूख की वजह से अपनी जान गंवा देते हैं. लेकिन इस समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो एक संस्था बनाकर ऐसे जरूरतमंद लोगों की सेवा करते हैं और उन्हें मुफ्त में पेटभर भोजन उपलब्ध कराते हैं. इसी कड़ी में धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में हरियाणा पुलिस के कुछ कर्मियों द्वारा रोटी बैंक के नाम से एक संस्था की शुरुआत की गई थी. पहले इस संस्था से सिर्फ पुलिसकर्मी ही जुड़े थे लेकिन जागरूकता बढ़ने के साथ ही अब इसमें और भी बहुत से समाजसेवी जुड़े हुए हैं जो आर्थिक तौर पर संस्था की सहायता करते हैं.

स्कूली बच्चे भी निभा रहे हैं मुख्य भूमिका

यह सिर्फ पुलिस कर्मचारी और अधिकारियों तक ही सीमित न रहकर जहां समाजसेवी इस संस्था से जुड़े तो वहीं अब स्कूल इस संस्था में अहम योगदान निभा रहे हैं. स्कूल के बच्चों से लेकर स्टाफ तक हर कोई हर रोज दो रोटी लेकर आता है, जहां स्कूल में रोटी बैंक के द्वारा एक काउंटर बनाया गया है. वहां पर रोटी रखी जाती है और वह रोटी फिर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाई जाती है.

कैसे शुरू हुई इस रोटी बैंक की शुरुआत

रोटी बैंक संस्था के मुख्य सदस्य सब इंस्पेक्टर अशोक वर्मा ने बताया कि इसकी शुरुआत के पीछे की कहानी बड़ी ही मार्मिक है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में हिसार एडीजीपी श्रीकांत जाधव द्वारा ही इस रोटी बैंक की शुरुआत की गई थी.

उस समय वह मधुबन करनाल पुलिस अकादमी में कार्यरत थे. वह अपनी गाड़ी में गरीब लोगों के लिए करीब 40 पैकेट खाने के लेकर गए. 40 पैकेट गरीब लोगों में बांटने के बाद वह जैसे ही अपनी गाड़ी लेकर वहां से चलने लगे तो वहां पर और छोटे-छोटे कुछ बच्चे आ गए जो उनसे खाना मांगने लगे. तब श्रीकांत यादव ने सोचा कि इन गरीब लोगों के लिए काम करना चाहिए, ताकि यह कम से कम दिन में एक बार भरपेट खाना खा सकें.

उसके बाद, उन्होंने कई पुलिस कर्मचारियों को इसमें शामिल किया और वह मधुबन में अन्य पुलिस कर्मचारी और अधिकारियों की सहायता से खाना बनाने लगे. इसके अलावा, उनसे 2- 2 रोटियां अपने घर से लाने की अपील करने लगे. शुरुआती समय में वह हर रोज 300 लोगों को खाना पहुंचा रहे थे लेकिन अब वह हजारों की संख्या में हर रोज जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाते हैं. इस तरह शुरू किया गया यह रोटी बैंक आज हजारों जरूरतमंद लोगों को भोजन खिला रहा है.

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