हरियाणा के इस मंदिर की अनोखी परंपरा, भक्त नारियल-चुनरी के बजाए चढ़ाते हैं सोने- चांदी के कीमती घोड़े; जानिए राज

कुरुक्षेत्र | आमतौर पर मंदिरों में जाकर भक्त भगवान को फूल, प्रसाद और चुनरी चढ़ाते हैं लेकिन हरियाणा में एक ऐसा मंदिर है, जहां सोने, चांदी और मिट्टी से बने घोड़े चढ़ाए जाते हैं. आज बात कर रहे हैं कुरूक्षेत्र के श्रीदेवीकूप भद्रकाली मंदिर की. इस मंदिर में घोड़े चढ़ाने की मान्यता सदियों से चली आ रही है. भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रतिभा सिंह पाटिल समेत तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री शक्तिपीठ मां भद्रकाली मंदिर जा चुके हैं और मां के चरणों में सोने-चांदी के घोड़े चढ़ा चुके हैं.

Kurukshetr Bhadrakali Temple

आखिर मंदिर का इतिहास क्या है?

महाराजा दक्ष्य के घर में जब माता सती ने हवन यज्ञ में जलकर अपने प्राण त्याग दिए थे और भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर पूरे संसार में भटक रहे थे. तब भगवान विष्णु ने माता सती के मृत शरीर के प्रति भगवान शिव का मोह दूर करने के लिए अपने चक्र से माता सती के शरीर को 52 टुकड़ों में बांट दिया था, जिस स्थान पर माता सती के शरीर के अंग गिरे वह स्थान धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के शक्तिपीठ और देवीकूप मां के रूप में प्रसिद्ध हो गया था.

भद्रकाली मंदिर में माता सती का दाहिना टखना गिरा था और यह मंदिर विधि- विधान से शक्तिपीठ देवीकूप भद्रकाली मंदिर के रूप में स्थापित हुआ था. यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है जो आज भी उसी रूप में मौजूद है. यहां तक की इस मंदिर की परंपराएं भी उसी तरह से चलती आ रही हैं.

मंदिर में घोड़े चढ़ाने की क्या मान्यता है?

पुराणों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध के दौरान पांडवों ने मंदिर में मां भद्रकाली की पूजा की थी और मन्नत पूरी होने पर अपने घोड़े चढ़ाने को कहा था. महाभारत युद्ध जीतने के बाद पांडवों ने अपने घोड़ों की सबसे खूबसूरत जोड़ी मां भद्रकाली के चरणों में चढ़ा दी थी. इसी मान्यता के अनुसार देवीकूप मां भद्रकाली मंदिर में मन्नत पूरी होने पर माता के मंदिर में सोने और चांदी के मिट्टी के घोड़े चढ़ाने की मान्यता सदियों से चली आ रही है और भक्त मंदिर पहुंचते हैं. प्रसाद, फूल और मां की चुनरी के साथ सोने, चांदी और मिट्टी के घोड़ों की जोड़ी चढ़ाई जाती है.

वक्त के साथ भक्त चढ़ाने लगे नकली घोड़े

बता दें कि मां भद्रकाली मंदिर में घोड़ों का जोड़ा चढ़ाने की मान्यता वर्षों पुरानी है. यह मान्यता आज भी कायम है लेकिन समय के साथ- साथ अब भक्त असली घोड़ों की जगह नकली घोड़े चढ़ाते हैं. यहां भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर सोने, चांदी और मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं. बता दें इस मंदिर की प्राचीन काल से यही प्रथा चली आ रही है. मंदिर में आए दिन भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है, लोगों का इस मंदिर के साथ खूब जुड़ाव भी है.

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