सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया बड़ा झटका, किसानों को दी खुशखबरी

चंडीगढ़ | आज किसान आंदोलन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर बड़ा निर्णय लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों नए कृषि कानूनों पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है. कोर्ट द्वारा इन कृषि कानूनों पर मंथन करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. इस कमेटी में कृषि अर्थशास्त्री तेजिंदर सिंह मान, प्रमोद जोशी, हरसिमरत मान, अशोक गुलाटी को शामिल किया गया है.

Supreme Court

किसानों के लिए रामलीला मैदान की हुई मांग

किसान आंदोलनकारियों के समर्थन में वकील विकास सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि किसानों के लिए दिल्ली में रामलीला मैदान में जगह की मांग की गई है. ऐसा स्थान जहां पर मीडिया-प्रेस उन्हें देख सके. दिल्ली प्रशासन किसानों को दूर जगह देना चाहता है. इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रशासन को रैली के लिए आवेदन दिया जाता है. पुलिस प्रशासन भी कुछ शर्ते रखता है. इन शर्तों का पालन न करने पर रैली की अनुमति नहीं दी जाती. क्या किसी ने आवेदन दिया? विकास सिंह ने कहा कि मुझे इस संबंध में और जानकारी हासिल करनी होगी.

किसान आंदोलन में दिखाई दिए अलगाववादी संगठन

आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि किसान आंदोलन में वैंकूवर के संगठन सिख फॉर जस्टिस के बैनर भी लहराते हुए दिखाई दे रहे हैं. यह एक अलगाववादी संगठन है. यह संगठन अलग खालीस्थान चाहता है. इस मुद्दे पर सीजेआई ने प्रश्न किया कि क्या इसे किसी ने रिकॉर्ड पर रखा है. तो इस पर सॉलीसीटर जनरल ने जवाब दिया कि एक याचिका में रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही से यह संकेत बिल्कुल भी नहीं जाना चाहिए कि गलत लोगों को शेय दी गई है. सीजेआई ने कहा कि हम केवल और केवल सकारात्मकता को शेय दे रहे हैं.

महिला, बच्चे व बुजुर्ग नहीं लेंगे आंदोलन में भाग

भारतीय किसान यूनियन के वकील द्वारा महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के आंदोलन में भाग न लेने की बात कही गई. उनकी इस बात पर चीफ जस्टिस ने कहा कि उनके बयान को हम रिकॉर्ड में ले रहे हैं. किसान संगठनों के वकील दुष्यंत दवे, गोंजाल्विस, भूषण स्क्रीन पर नजर नहीं आ रहे हैं. दुष्यंत दवे ने कल कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई कोर्ट टाला जाए. वह किसानों से वार्तालाप करेंगे.

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