एक महान विज्ञानी, जिसने अपने परिश्रम-समर्पण द्वारा 20 वर्षो में बदल कर रख दी गाँवो की तस्वीर, जाने उनके बारे में

हिसार I डा. जगबीर रावत एक ऐसा नाम जिसने अपने जीवन के अनमोल 20 साल गांवों को समर्पित कर दिए और आगे भी करते रहेंगे. इनकी मेहनत और सकारात्मक सोच से ही वो गाँव आज तरक्की की ऊंचाइयों को छू रहे हैं जो किसी समय सबसे पिछड़े हुए माने जाते थे. सदियों से चली आ रही परंपरागत कृषि तकनीक को इन्होंने अपने परिश्रम द्वारा आधुनिक उद्द्योग का रूप दे दिया.
डा. जगबीर रावत हिसार में लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में इम्युनोलॉजी विभाग के हेड व एसोसिएट प्रोफेसर हैं. ये सन 2000 से खेती और गाँवो के इंफ़्रा स्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के कामों में लगे हैं.

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किया गोबर-गौमूत्र से खाद बनाने का मॉडल तैयार
फिलहाल वे गांधी जयंती के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष में गोबर एवं गौमूत्र से सम्बन्धित एक योजना का रचनात्मक मॉडल पेश करने वाले हैं. इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि गाँव के लोग गोबर और गौमूत्र से जैविक खाद बना कर बाज़ार में बेचे. इस परियोजना से देश को खाफी आर्थिक लाभ होगा. साथ ही देश के DAP (खाद) पर होने वाले 75,000 करोड़ रु खर्च से भी छुटकारा मिल जाएगा.

शिक्षक से मिली प्रेरणा
डा. जगबीर रावत ने बताया है कि उन्हें गरीबों और गांवों के लिए काम करने व कुछ कर दिखाने की प्रेरणा उनके शिक्षक डॉ द्वारिकानाथ से मिली. उनके शिक्षक अपना पूरा वेतन गरीब बच्चों की सहायता में लगाया करते थे. अपने शिक्षक की इसी विचारधारा ने उन्हें प्रेरित किया. फिर कार्यकारी जीवन की शुरुआत में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के साथ मिल कर सक्रिय रूप से कृषि क्षेत्रों में कार्य करना आरंभ कर दिया.

बहुआयामी योजनाओं पर देते हैं जोर
डॉ जगबीर रावत अपने प्रत्येक मॉडल में बहुआयामी कार्य करने की बात कहते हैं. उनके अनुसार किसानों को केवल खेती का ही काम नही करना चाहिये. बल्कि साथ मे काफी चीज़ो को भी ध्यान में रख कर कार्य करना चाहिए. डेयरी का काम करने वालों को केवल दूध ही नही बल्कि अन्य दुग्ध प्रोडक्टस, पशु, फीड निर्माण आदि का भी व्यापार करना चाहिये.

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