कुंडली बार्डर पर प्लाट काटेंगे किसान, बसाएंगे हरियाणा- पंजाब का सामुदायिक मौहल्ला

सोनीपत । तीन कृषि कानूनों के विरोध में साढ़े तीन महीनों से कुंडली बार्डर पर आंदोलनरत किसानों ने सरकार के रुख पर एतराज़ जताते हुए चेताया है जब उन्हें यहीं बैठना है तो क्यों न यहीं पर पक्के मकान बनाए जाएं. यही सोचकर उन्होंने कुंडली बार्डर के मुख्य मंच से करीब आधा किलोमीटर पहले पानीपत से दिल्ली जाने वाली लेन पर पक्के मकान बनाने के लिए निर्माण कार्य शुरू कर दिए है. किसानों द्वारा शुरू किए गए पक्के निर्माणों को देखते हुए सेवादारों द्वारा ईंटें व निर्माण सामग्री भेजनी शुरू कर दी है. यहां पर कई मकानों की नींव तैयार हो चुकी है जबकि कई किसानों ने ट्यूबवेल भी लगवाए है.

KISAN AANDOLAN

किसानो ने शुरू किए पक्के निर्माणों को लेकर तर्क दिया है कि सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है. 22 जनवरी के बाद सरकार से कोई वार्ता नहीं हुई है. इसी स्थिति को देखते हुए उन्होंने पक्के निर्माणों का काम करने का फैसला किया है. किसानो का कहना है कि सरकार की हठधर्मिता ही उन्हें यहां डटे रहने व पक्के निर्माण कार्य शुरू करने के लिए विवश कर रही है. किसान नेताओं ने कहा कि अब वो यहां प्लाट भी कटवाएंगे और मोहल्ला व नगर बसाएंगे. ऐसा करके वे अपनी उस जमीन का बदला ले सकेंगे जिसे मोदी सरकार कारपोरेट को बेचने की फिराक में हैं. जब तक सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं करती तब तक वो पीछे हटने वाले नहीं हैं.

हरियाणा पंजाब के सामुदायिक मौहल्ले व नगर करेंगे स्थापित

किसानो ने दो दिन पहले ही पक्के मकान बनाने का निर्णय लेते हुए निर्माण कार्य शुरू किया है. वहीं एक सप्ताह पहले कुंडली धरनास्थल पर निर्धारित अंतराल में ट्यूबवेल भी लगवाए है. किसानो का कहना है कि एक तो उन्हें निर्माण कार्य में पानी की जरूरत पड़ेगी और दूसरी गर्मी में पेयजल की कमी भी पुरी हो सकेगी. यही कारण है कि ट्यूबवेल लगवाना जरूरी हो गया है. किसानो ने निर्णय लिया है कि वे यहां पंजाब व हरियाणा के सामुदायिक मौहल्ले व नगर स्थापित करेंगे.

किसानों द्वारा धरनास्थल पर किए जा रहे निर्माण कार्य व ट्यूबवेल लगवाने के निर्माण कार्य को रोकने के लिए बुधवार को पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस ने किसानों से पुछा कि वे किसकी मंजूरी से यहां निर्माण कार्य शुरू कर रहे हैं तो किसानों ने उल्टे पुलिस पर ही सवालों की बौछार शुरू कर दी. किसानों ने पुलिस से पुछा कि सरकार ने किसकी मंजूरी से 3 काले कानूनों का निर्माण किया है. किसानों के उपर क्यूं इन काले कानूनों को थोपने का प्रयास किया जा रहा है. पुलिस ने किसानों को समझाने का प्रयास किया लेकिन वे अपनी बात पर अडिग रहे और कहा कि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए उनके निर्माण कार्य को न रोका जाए. किसानों के इस कदम के बाद पुलिस वहां से बैरंग लौट आई.

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