मॉनसून के पहले अनुमान ने बढ़ाई किसानों की चिंता, इस वजह से कम हो सकती है बारिश

नई दिल्ली | मौसम का अनुमान लगाने वाली प्राइवेट कंपनी स्काईमेट वेदर की भविष्यवाणी ने किसानों को चिंता में डाल दिया है. स्काईमेट का कहना है कि इस बार जून से सितम्बर के बीच सामान्य से कम होगी. प्राइवेट एजेंसी ने अनुमान जताया है कि इस बार मानसून कमजोर होने से चार महीने में 868 मिमी तक कम वर्षा होगी.

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स्काईमेट वेदर कंपनी ने बताया है कि सामान्य से 40 प्रतिशत कम बारिश होने के आसार हैं. वहीं, सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक बारिश होने की भी उम्मीद जताई गई है. इसके अलावा, 25 प्रतिशत सामान्य बारिश होने की उम्मीद है. ज्यादा बारिश होने का सिर्फ 0 प्रतिशत ही अनुमान जताया गया है.

स्काईमेट के डायरेक्टर जतिन सिंह ने बताया कि ला नीना की वजह से पिछले चार मानसून सीजन में सामान्य बारिश देखने को मिली हैं लेकिन अब इसका प्रभाव खत्म हो रहा है. वहीं, अब अल निनो बढ़ रहा है जिसकी वापसी से मानसून के कमजोर होने की संभावना बढ़ रही है. ऐसे में सुखा पड़ सकता है और गर्म मौसम की वजह से किसानों को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है.

क्या है अल नीना

प्रशांत महासागर में जब समुद्र की उपरी सतह गर्म होती है तो अल नीना का प्रभाव पड़ता है. इसका असर दक्षिण पश्चिम मानसून पर देखने को मिलेगा. अनुमान के मुताबिक, मई से जुलाई के बीच अल नीनो का प्रभाव लौट आएगा. ऐसे में सुखा पड़ने के आसार बढ़ गए हैं. हालांकि वेदर कंपनी का ये भी कहना है कि सुखा पड़ने की संभावना मात्र 20 प्रतिशत है. साल 1997 में भी अल नीनो इतना ही ताकतवर था. इसके बावजूद भी, सामान्य वर्षा हुई थी.

स्काईमेट का कहना है कि अल नीनो के अलावा भी कई अन्य वजह है जो मानसून को प्रभावित कर सकती हैं. इंडियन ओशल डाईपोल भी मानसून को प्रभावित करता है. यह अभी न्यूट्रल है. बता दें कि देशभर में जून से सितम्बर तक मानसून की बारिश होती है और धान की खेती इसी पर निर्भर करती है. ऐसे में बारिश कम होती है तो बड़ी संख्या में किसानों पर असर पड़ेगा. इसके अलावा, दुनिया पहले ही खाद्यान्न संकट से जूझ रही है. इससे संकट और अधिक गहरा सकता है जो सही नहीं होगा.

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