गेहूं के निर्यात पर लगे बैन से मोदी सरकार ने दी कुछ राहत, किया ये ऐलान

नई दिल्ली | केन्द्र की मोदी सरकार ने गेहूं निर्यात पर लगे प्रतिबंध में कुछ ढील देने की घोषणा कर दी है. सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जो गेहूं का कन्साइनमेंट 13 मई से पहले कस्टम विभाग के पास रजिस्टर होगा, उसको प्रतिबंध से छूट होगी, मतलब उसका निर्यात किया जा सकेगा.

anaj mandi

सरकार की ओर से गेहूं निर्यात को लेकर नया नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. इसके अनुसार 13 मई को आदेश जारी होने से पहले तक सीमा शुल्क के साथ रजिस्टर्ड किया जा चुका गेहूं का कन्साइनमेंट एक्सपोर्ट किया जा सकेगा. नए आदेश के मुताबिक सरकार ने फैसला लिया है कि तय तारीख से पहले जांच के लिए सीमा शुल्क विभाग को सौंपा गया या उनके सिस्टम में रजिस्टर्ड गेहूं का कन्साइनमेंट निर्यात किया जा सकेगा.

बता दें कि सरकार ने मिस्र को निर्यात किए जाने वाले गेहूं के कन्साइनमेंट को एक्सपोर्ट करने की अनुमति भी दे दी है. यह कन्साइनमेंट पहले ही गुजरात के कच्छ में स्थित कांडला बंदरगाह पर जहाज में लोड किया जा रहा था. मिस्र सरकार ने भारत सरकार से गेहूं की खेप को निर्यात किए जाने की परमिशन मांगी थी.

मिस्र को निर्यात किए जा रहे गेहूं का काम मैसर्स मेरा इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी संभाल रही थी. कंपनी ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें कुल 61,500 मीट्रिक टन गेहूं की लोडिंग पूरी करने का काम मिला था, जिसमें से 44,300 मीट्रिक टन गेहूं पहले ही लोड किया जा चुका है. अब केवल 17,160 मीट्रिक टन गेहूं लोड किया जाना बाकी था. केन्द्र सरकार ने इस पूरे कन्साइनमेंट को एक्सपोर्ट करने की परमिशन दे दी है.

दुनिया में गेहूं संकट खड़ा होने की प्रमुख वजह

बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी सैन्य कार्रवाई से इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं सप्लाई को लेकर संकट खड़ा हुआ है. दोनों ही देश दुनिया के बड़े गेहूं निर्यातक देशों में से एक है. दोनों देश मिलकर दुनिया के गेहूं निर्यात जरुरत के एक तिहाई हिस्से की आपूर्ति करते थे. फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग की वजह से इस साल गेहूं के भाव में 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है.

भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है. पिछले साल खराब मौसम की वजह से गेहूं के बड़े उत्पादक देश, जिनमें यूक्रेन भी शामिल हैं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की पर्याप्त आपूर्ति करने में नाकाम रहे थे. लेकिन भारत में गेहूं का उत्पादन अच्छा हुआ है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति प्रभावित नहीं हुई.

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