भारत में बन रहे दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे का 70% काम हुआ पूरा, यहाँ पढ़े ख़ास बाते

नई दिल्ली | दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे भारत में बन रहा है. 1380 किमी लंबा यह एक्सप्रेसवे (दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे) देश की राजधानी नई दिल्ली को आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़ेगा. यह छह राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा. इसके साथ ही, दिल्ली से मुंबई का सफर 12 घंटे में पूरा हो जाएगा. फिलहाल इन दोनों शहरों के बीच के सफर में 24 घंटे लगते हैं.

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यह एशिया का पहला ऐसा हाईवे है जिसके निर्माण में वन्य जीवों के लिए ग्रीन ओवरपास उपलब्ध कराया जाएगा. फिलहाल यह एक्सप्रेस-वे आठ लेन का है. लेकिन, आने वाले दिनों में इसे 12 लेन तक बढ़ाया जा सकता है. इस पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन दौड़ेंगे. इसके साथ ही, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर भी विकसित किया जा रहा है. माना जा रहा है कि यह एक्सप्रेस-वे सही मायने में प्रगति का एक्सप्रेस-वे साबित होगा.

यह एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना के पहले चरण के तहत बनाया जा रहा है. एक्सप्रेसवे के पूरा होने से जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा जैसे आर्थिक केंद्रों से कनेक्टिविटी में सुधार होगा. इससे इन शहरों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.

माना जा रहा है कि यह एक्सप्रेस-वे मार्च 2023 में बनकर तैयार हो जाएगा. इस एक्सप्रेस-वे पर हेलीपैड बनाने की भी योजना है. इससे दुर्घटना की स्थिति में पीड़ितों को जल्द से जल्द अस्पताल ले जाया जा सकेगा. इस एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर औद्योगिक कॉरिडोर बनाने की भी योजना है. पिछले महीने सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया था कि 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है.

एक्सप्रेसवे की विशेषताएं

दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे की आधारशिला 9 मार्च 2019 को रखी गई थी. यह एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा एक्सप्रेसवे है जिसमें वन्यजीवों के लिए ओवरपास की सुविधा है. इसके निर्माण में 1.2 मिलियन टन स्टील का इस्तेमाल किया जाएगा, जो 50 हावड़ा ब्रिज के बराबर है. साथ ही इसमें 35 करोड़ क्यूबिक मीटर मिट्टी और 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल किया जाएगा. यह सीमेंट देश की सालाना उत्पादन क्षमता के दो फीसदी के बराबर है. इसके निर्माण पर करीब एक लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.

यह एक्सप्रेसवे एक्सेस कंट्रोल है. यानी हाईवे के बीच में कोई भी एक तरफ से दूसरी तरफ नहीं आ सकेगा. एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा होने के बाद ईंधन की खपत में 32 करोड़ लीटर की कमी आएगी. इसके साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी, जो कि 40 मिलियन पेड़ लगाने के बराबर है. यह पर्यावरण के लिए काफी फायदेमंद होगा. हाईवे पर हर 500 मीटर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होगा. साथ ही एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर 40 लाख पेड़ लगाने की योजना है.

वन्य जीवों पर विशेष ध्यान

यह एशिया का पहला ऐसा हाईवे है, जिसके निर्माण में वन्य जीवों के लिए ग्रीन ओवरपास उपलब्ध कराया जाएगा. इसके तहत आठ लेन की दो टनल बनाई जाएंगी. इनमें से एक टनल सबसे पहले राजस्थान के मुकुंदरा सैंक्चुअरी के नीचे से बन रही है.दूसरी टनल महाराष्ट्र के माथेरान इको-सेंसिटिव जोन में बनेगी. इसकी लंबाई भी चार किलोमीटर है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह एक्सप्रेस-वे मुकंदरा और रणथंभौर से भी गुजर रहा है. ऐसे में वन्य जीवों को किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए साइलेंट कॉरिडोर लाया जा रहा है.

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े ग्रीन ओवरपास जंगल बूंदी-सवाईमाधोपुर के बीच वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए साढ़े तीन किलोमीटर के अंतराल में 5 ग्रीन ओवर पास बनाए जा रहे हैं. यह ओवर पास रणथंभौर नेशनल पार्क, बूंदी रामगढ़ टाइगर रिजर्व और कोटा मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के बीच कॉरिडोर पर बनाया जा रहा है. इन तीन राष्ट्रीय उद्यानों में वन्यजीव आसानी से आ सकते हैं. इसके साथ ही मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में चार किलोमीटर की दूरी पर सुरंगें बनाई जा रही हैं.

12 लेन हाईवे

फिलहाल यह एक्सप्रेस-वे आठ लेन का है. लेकिन आने वाले दिनों में इसे बढ़ाकर 12 लेन कर दिया जाएगा. इस सड़क के बीच में 21 मीटर चौड़ी जगह छोड़ी जा रही है. ट्रैफिक बढ़ने पर दोनों तरफ दो और लेन बनाई जाएंगी. गडकरी का कहना है कि देश में ऐसा हाईवे होना चाहिए जो इलेक्ट्रिक हो. ऐसे में इस हाईवे को इलेक्ट्रिक हाईवे बनाया जाएगा ताकि ट्रेनों की तर्ज पर बस और ट्रक भी इलेक्ट्रिक तरीके से चल सकें. गडकरी का दावा है कि दुनिया में कहीं भी इतना लंबा 12 लेन का हाईवे नहीं है.

यह एक्सप्रेस-वे विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों से होकर गुजर रहा है. कहीं जंगल है तो कहीं रेगिस्तान, पहाड़ और नदियाँ. इस एक्सप्रेस-वे की एक खासियत यह भी है कि इस पर 94 साइड सुविधाएं बनाई जा रही हैं. इनमें पेट्रोल पंप, मोटल, विश्राम क्षेत्र, रेस्टोरेंट और दुकानें होंगी. उनके पास हेलीपैड की सुविधा भी होगी. इस एक्सप्रेस-वे का 160 किमी हरियाणा में, 374 किमी राजस्थान में, 245 किमी मध्य प्रदेश में और 423 किमी गुजरात में होगा.

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