9 राज्यों से मंगवाई मिट्टी, 250 बार हुए फेल…! आखिर बना ही दिया इको फ्रेंडली मिट्टी का कूलर

पलवल | हरियाणा के पलवल जिले के गांव मीरपुर कोराली के मुकेश कुमार ने मिट्टी से कूलर बनाया है. इसे 9 राज्यों की मिट्टी की सहायता से बनाया गया है. बता दें, इसे भारत सरकार से पेटेंट की मंजूरी भी मिल चुकी है. दीनबंधु चौधरी छोटू राम यूनिवर्सिटी मुरथल सोनीपत से पीएचडी की पढ़ाई कर रहे मुकेश कुमार का दावा है कि उनका बनाया यह कूलर इको फ्रेंडली (Eco Friendly Cooler) है. ये मार्केट में बिकने वाले आयरन और फाइबर के कूलरों से ज्यादा किफायती भी है.

Mitti Ka Cooler

पीएचडी की पढ़ाई के दौरान उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग जैसे परिणाम से बचने के लिए मिट्टी के कूलर बनाने के बारे में शुरुआत करने की सोची. 250 बार असफल कोशिश करने के बाद उन्हें सफलता मिली.

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गाँव से प्राप्त की प्रारंभिक शिक्षा

गांव से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद मुकेश कुमार ने बीटेक और एमटेक की पढ़ाई एमडीयू रोहतक से की. एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित शर्मा की प्रेरणा तथा अपने दोस्त मैकेनिकल इंजीनियर नितेश कुमार की मदद से उन्होंने मिट्टी के कूलर बनाने के डिजाइन पर काम करना शुरू किया. काफी महीने मेहनत करने के बाद आखिरकार वह डिजाइन को तैयार कर पाए.

अलग- अलग राज्यों से मंगवाई मिट्टी

250 बार असफल होने के बाद उन्होंने भारत के अलग- अलग राज्यों गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक से मिट्टी के नमूने मंगवाए. इस दौरान महावीर नामक कुम्हार द्वारा उनकी काफी मदद की गई. आखिरकार वह मिट्टी से बना कूलर तैयार कर पाए. इस कूलर की मजबूती को परखने के लिए मिट्टी को करीब 1200 डिग्री सेल्सियस तक हीट पर रखकर टेस्टिंग की गई. इसके बाद बना कूलर गर्मी और बरसात सबको आसानी से झेल सकता है. मुकेश कुमार का दावा है कि यह कूलर 5 साल तक आसानी से चल सकता है.

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इको फ्रेंडली है ये कूलर

इको फ्रेंडली होने के साथ- साथ यह वातावरण को बचाने में काफी कारगर है. इसे डिस्पोज करना भी आसान है तथा वातावरण को भी इससे कोई हानि नहीं होती. इसकी कीमत बाजार में मिलने वाले बाकी कूलरों के मुकाबले कम भी है. इससे जो हवा मिलेगी, वह पूरी तरह शुद्ध होगी. इसका आपके शरीर पर कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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मुकेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके कूलर पर सभी ट्रायल कंप्लीट किए जा चुके हैं. अगले साल जब उनकी पीएचडी पूरी हो जाएगी. उसके बाद, यह उत्पाद मार्केट में बेचने के लिए लांच कर दिया जाएगा. उन्होंने यहां तक का मुकाम हासिल करने में उनके स्वर्गीय पिता नरेंद्र कुमार, उनकी पत्नी सीमा रानी का योगदान बताया.

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