हरियाणा में कांग्रेस- INLD गठबंधन पर मचा घमासान, भड़के हुड्डा ने बेटे दीपेंद्र संग डाला दिल्ली में डेरा

चंडीगढ़ | हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी (INLD) से कांग्रेस पार्टी के गठबंधन की चर्चाओं पर पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा खासी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. पार्टी सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि हुड्डा ने केन्द्रीय नेतृत्व के सामने कांग्रेस पार्टी को छोड़ने की धमकी दी है. भुपेंद्र हुड्डा ने अपने बेटे और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा के साथ दिल्ली में डेरा डाल लिया है.

bhupender singh hooda

बता दें कि इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी ने 25 सितंबर को ताऊ देवीलाल जयंती पर कैथल में होने वाले सम्मान समारोह के लिए सोनिया गांधी को न्यौता भेजा है. अभय चौटाला ने कहा कि यदि कांग्रेस भुपेंद्र हुड्डा को यह जिम्मेदारी सौंपती है तो मंच पर उनका भी स्वागत किया जाएगा. हालांकि, हुड्डा की तरफ से इस तरह के संकेत मिले हैं कि वे इनेलो की रैली में शामिल नहीं होंगे.

I.N.D.I.A गठबंधन पर हरियाणा में तय घमासान

हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर I.N.D.I.A गठबंधन की हिस्सा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) में घमासान तय है. यदि आईएनएलडी भी 25 सितंबर को I.N.D.I.A में शामिल हो जाती है तो ये घमासान और बढ़ जाएगा.

अपनी दावेदारी सबसे मजबूत मान रही है कांग्रेस

पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा ने स्पष्ट कर दिया है कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी अपने बलबूते सरकार बनाने में सक्षम है और उसे किसी पार्टी के सहारे की जरूरत नहीं है. ऐसे में कांग्रेस अपने सहयोगी दल AAP और संभावित सहयोगी दल INLD के लिए उनकी पसंद की लोकसभा सीटों को छोड़ देगी, इसके आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

AAP और INLD इन सीटों पर ठोकेगी दावा

INLD नेता अभय चौटाला पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि जब राज्य की 10 लोकसभा सीटों के बंटवारे की बात आएगी तो पार्टी की ओर से सिरसा, हिसार और भिवानी की लोकसभा सीटों पर दावा ठोका जाएगा तो वही आम आदमी पार्टी भी सिरसा व अंबाला लोकसभा सीटों के लिए अपनी दावेदारी पेश करेगी.

केन्द्रीय नेतृत्व के दवाब से बनेगी बात

हरियाणा में लोकसभा चुनाव में यदि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी का दबाव भी रहा तो भुपेंद्र हुड्डा सोनीपत, रोहतक, भिवानी-महेंद्रगढ़ समेत कोई सीट आसानी से छोड़ने को तैयार हो जाएंगे, इसकी संभावना बिल्कुल भी नहीं दिख रही है. इन सभी सीटों पर पार्टी के दिग्गज नेता चुनाव लड़ने के लिए बिल्कुल तैयार बैठे हैं. ऐसे में इन तीनों दलों में लोकसभा सीटों के बंटवारे पर कोई सहमति बहुत आसानी से बन पाएगी, ऐसा राजनीतिक विश्लेषक बिल्कुल भी मानकर नहीं चल रहे हैं.

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