रोहतक की 64 वर्षीय कमलेश ने 5200 किमी साइकिल चलाकर बनाया रिकॉर्ड, इस तरह पाई सफलता

रोहतक | उम्र के ऐसे पड़ाव में जहां लोग अक्सर खाट पकड़ लेते हैं. हरियाणा के जिला रोहतक के 64 वर्षीय कमलेश राणा ने पूरे भारत में 5,200 किलोमीटर साइकिल चलाकर रिकॉर्ड बनाया है. कमलेश राणा का एक ही मकसद था कि लोग एक्सरसाइज करके शुगर खत्म कर सकते हैं और उन्होंने करीब ढाई महीने में कन्याकुमारी से कश्मीर तक साइकिल चलाकर हर राज्य में लोगों को यह संदेश दिया है.

Kamlesh Rana Rohtak

ऐसे जीती बिमारी से जंग

पहले रोज साइकिल चलाकर अपना शुगर ठीक किया फिर साइकिल पर निकलीं लोगों को जागरूक करने. वह 64 साल के हैं लेकिन उनके हौसले बुलंद हैं. कमलेश राणा की बेटी को अपनी मां के इस कारनामे पर नाज है. उनकी मां ने योग शिक्षक रहते हुए इससे पहले 2010 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. कमलेश राणा का आज रोहतक पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया.

रोहतक की 64 वर्षीय कमलेश राणा ने बताया कि पति की मौत के बाद वह अक्सर डिप्रेशन में रहने लगी थी जिससे उन्हें शुगर हो गई थी और दिल की धड़कन भी बढ़ गई थी. इसके बाद, उन्होंने साइकिलिंग शुरू की जिससे उन्होंने तमाम बीमारियों पर काबू पा लिया. आत्मविश्वास के साथ वह मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी से पीड़ित लोगों को राहत दिलाने के लिए व्यायाम के संदेश के साथ अपने अनुभव को साझा करने के लिए भारत के दौरे पर निकलीं. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कई समस्याओं का सामना किया लेकिन इरादा नहीं बदला.

लोगों को दी प्रेरणा

अंत में उन्होंने उम्रदराज लोगों से कहा है कि उम्र को अपने ऊपर बोझ न बनने दें और कुछ न कुछ करते रहें. इसके साथ ही, उन्होंने स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों से अपील की है कि वे अपने स्कूल कॉलेज मोटरसाइकिल की बजाय साइकिल से पहुंचें ताकि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे, पर्यावरण भी अच्छा रहे और पैसे की भी बचत हो.

शुरू से ही दूसरों के लिए जीने की रही इच्छा

कमलेश राणा की बेटी पुष्पा राणा ने बताया कि उनकी मां में शुरू से ही दूसरों के लिए जीने की इच्छा रही है. वह एक योग शिक्षिका थीं और कई स्कूलों में योग सिखा चुकी हैं. साथ ही, 2010 में साइकिल में एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल भी जीत चुके हैं. उनकी मां का संदेश भी बढ़ते मादक पदार्थों के व्यापार पर प्रहार करता है जिससे लोग बीमार हो गए.

उनका कहना है कि कोई भी एक्सरसाइज करने के बाद साइकिल ही नहीं, हम अपनी सेहत को भी दुरुस्त रख सकते हैं और यही उनकी मां की साइकिल यात्रा का मकसद रहा है इस उपलब्धि के लिए उन्हें अपनी मां पर बहुत गर्व है.

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