हरियाणा सरकार ने MBBS छात्रों को दी बड़ी राहत, अब नहीं भरना पड़ेगी 10 लाख रुपये की बांड राशि

रोहतक | हरियाणा सरकार ने MBBS छात्रों को बड़ी राहत दी है. अब किसी भी छात्र को राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में MBBS कोर्स में दाखिले के समय कोई बांड राशि (यानि करीब 10 लाख रुपये फीस) नहीं देनी होगी. इसके बजाय छात्रों को अब केवल कॉलेज और संबंधित बैंक के साथ राशि का बांड-सह-ऋण समझौता करना होगा. यदि MBBS एमडी पास-आउट छात्र एक डॉक्टर के रूप में सरकारी सेवा में शामिल होना चाहते हैं और सात साल की निर्दिष्ट अवधि के लिए सेवा करना चाहते हैं तो राज्य सरकार बांड राशि का वित्तपोषण करेगी.

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वहीं, जो उम्मीदवार हरियाणा में एक डॉक्टर के रूप में सरकारी सेवा में शामिल नहीं होना चाहते हैं, उन्हें उपरोक्त राशि का भुगतान स्वयं करना होगा. ऐसे छात्रों की संबंधित स्नातक की डिग्री तभी जारी की जाएगी जब उम्मीदवार सभी वित्तीय देनदारियों को पूरा कर लें. सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि MBBS करने के बाद छात्र सरकारी अस्पतालों में काम कर सकें और राज्य के लोगों को अपनी सेवाएं दे सकें. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि राज्य सरकार हर व्यक्ति विशेषकर जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आगे बढ़ रही है.

सीटों की संख्या बढ़कर 1735 हुई

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज, होम्योपैथिक कॉलेज और नर्सिंग कॉलेज की संख्या में वृद्धि हुई है. वर्ष 2014 में राज्य में 7 मेडिकल कॉलेज थे और MBBS की सीटें केवल 700 थीं. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 6 कॉलेज खोले गए और आज MBBS सीटों की संख्या बढ़कर 1735 हो गई है.

3,000 छात्रों को MBBS के लिए प्रवेश

मनोहर लाल ने कहा कि सरकार की योजना हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की है. कई जिलों में मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि जैसे ही इन मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. 3,000 छात्रों को MBBS के लिए प्रवेश दिया जाएगा.

क्या है मामला

आपको बता दें कि MBBS के छात्र पीजीआई, रोहतक, हरियाणा में सरकार की बांड नीति का विरोध कर रहे थे. सरकार ने MBBS छात्रों की फीस 10 लाख रुपए कर दी थी, जिससे छात्र सड़क पर आ गए. सरकार द्वारा लागू की गई बॉन्ड पॉलिसी के तहत MBBS छात्रों को सालाना 9.20 लाख रुपये जमा करने होते थे. वहीं, 80 हजार रुपये फीस भी. इस लिहाज से सभी संभावित डॉक्टरों को प्रति वर्ष 10 लाख रुपये जमा करने थे. नई नीति के तहत सभी MBBS छात्रों को 4 साल में कुल 40 लाख रुपये जमा करने होंगे. जिसका विरोध किया जा रहा था.

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