हरियाणा में सबसे शुद्ध हवा चरखी दादरी की, दूसरे नंबर पर यमुनानगर

पानीपत । हवा की शुद्धता के मामले में हरियाणा के चरखी दादरी जिले ने बाजी मारते हुए पहला स्थान प्राप्त किया जबकि यमुनानगर जिला दूसरे स्थान पर रहा. चरखी दादरी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 45 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया जबकि यमुनानगर में यह आंकड़ा 72 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा. यह रिपोर्ट केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों से प्राप्त हुई है.

PARDUSHAN

प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक प्रदुषण की जांच के लिए वायु में पीएम 10 व पीएम 2.5 की मात्रा का नाप लिया जाता है. इसके अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड का स्तर भी मापा जाता है. जब उपरोक्त सभी का स्तर 50 से 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के दायरे में हों तो इसे संतोषजनक माना जाता है. सोमवार को यमुनानगर में पीएम 2.5 का अधिकतम स्तर 88 व न्यूनतम स्तर 34 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर नोट किया गया. पीएम 10 की अधिकतम मात्रा 99 व न्यूनतम 59 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर नोट की गई.

पिछले 10 दिनों से यमुनानगर की आबोहवा थी प्रदूषित

पिछले 10 दिनों में जिलें का वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर रोजाना 100 से उपर दर्ज किया जा रहा था. लेकिन सोमवार सुबह से ही हवा में शुद्धता नजर आईं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी निर्मल कश्यप ने बताया कि हवा चलने,धूल- मिट्टी कम उड़ने व लगातार लॉकडाउन के चलते औधोगिक इकाईयों के बंद रहने से हवा के पैमाने में सुधार हुआ है. जो कि सभी के लिए राहत भरी खबर है.

प्रदेश के एक तिहाई जिलों की आबोहवा शुद्ध

सोमवार को प्रदेश के एक तिहाई जिलों की आबोहवा का पैमाना संतोषजनक रहा. अंबाला में वायु गुणवत्ता सूचकांक 78 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर, करनाल में 85 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पलवल में 75 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया. वहीं पर्यावरणविद् डॉ अजय कुमार ने बताया कि शुद्ध हवा में सांस से संबंधित बीमारियों की रिकवरी में तेजी से सुधार आता है. शुद्ध हवा कोरोना मरीजों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को लगातार ऐसे प्रयास करते रहना चाहिए कि जिससे वातावरण हमेशा के लिए ऐसा ही बना रहें.

वहीं सीएमओ डॉ विजय दहिया ने भी बताया कि शुद्ध हवा शरीर के लिए बहुत लाभकारी है. सुबह के समय लंबे-लंबे सांस लेने से फेफड़ों में प्रतिरोधक क्षमता का विस्तार होता है. शुद्ध हवा में संक्रमण फैलने का खतरा भी कम होता है.

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