हरियाणा में 1400 साल बाद बनेगा बौद्ध स्तूप, दा बुद्धिस्ट फोरम करेगा निर्माण; यहाँ पढ़े खासियत

यमुनानगर | हरियाणा के यमुनानगर के गांव टोपरा कला में 1400 वर्ष पुराना इतिहास दोहराया जा रहा है. छठी शताब्दी में सम्राट हषवर्धन के बाद अब प्रदेश में बौद्ध स्तूप बनाया जाएगा. उन्होंने कुरुक्षेत्र के थानेसर में स्तूप बनवाया था. टोपरा कलां के स्तूप की ऊंचाई 91 और व्यास 2020 फीट होगी. इस क्षेत्र में आर्केयोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया को बौद्ध धर्म के साक्ष्य मिल चुके हैं.

Buddhist Stupa Yamunanagar

दा बुद्धिस्ट फोरम के महासचिव सिद्धार्थ गौरी बताते हैं कि पाली साहित्य में सुत्तपिटक (उपदेशात्मक व्याख्यान) सूत्र देने के लिए महात्मा बुद्ध इधर आए थे. आदिबद्री धार्मिक स्थल पवित्र नदी सरस्वती नदी का उद्गम स्थल रहा, माना जाता है कि यहां ग्रंथों की रचना हुई थी. इसी धार्मिक महत्व से प्रेरित महात्मा बुद्ध काफी प्रभावित थे.

स्तंभ अशोक ने स्थापित किया

2300 साल पहले सम्राट अशोक ने इस गांव में स्तंभ स्थापित किया था. जिसको 13वीं शताब्दी में फिरोजशाह तुगलक उखाड़ कर दिल्ली ले गया और फिरोजशाह कोटला मैदान में लगाया. वर्ष 2019 में तुगलक को जवाब देने के लिए यहां पर देश का सबसे ऊंचा (30 फीट) अशोक चक्र अशोका पार्क में स्थापित किया गया.

लिम्का बुक आफ रिकार्ड में सबसे ऊंचे चक्र होने का रिकार्ड दर्ज है. सारनाथ व सांची के स्तूप के छत्र की तरह चक्र पर 60 फीट ऊंची अष्टामंगलम छत्रवाली स्थापित की गई है, इसमें आठ सिंबल जैसे मछली का जोड़ा, रस्सी का गुच्छा, चक्र, शंख, कलश, कमल, ध्वज, छत्र शामिल हैं.

महापुरुष के सम्मान में होता था छत्र का प्रयोग

प्राचीन काल में राजा या महापुरुष के सम्मान में ऐसे छत्र का प्रयोग हुआ करता था. बुद्धिस्ट फोरम इस स्तूप के निर्माण की तैयारी कर रहा है. इसका डिजाइन फाइनल हो चुका है. तीस एकड़ के स्तूप के अलावा लकड़ियों के मकान उपासना के लिए बनेंगे नए स्तूप के निर्माण के बाद प्रदेश में छह स्तुप हो जाएंगे. आर्केयोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के मुताबिक यमुनानगर के चनेटी, आदिबद्री, करनाल के असंध, कुरुक्षेत्र के थानेसर व हिसार के अग्रोहा में बौद्ध स्तूप हैं.

स्तूप के चारों दिशाओं में चार रथिकाएं

सिद्धार्थ का कहना है कि छठी शताब्दी के सम्राट हर्षवर्धन भगवान शिव व बौद्ध धर्म के अनुयायी थे. चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी इस बारे में लिखा है. उनको बौद्ध धर्म का अंतिम सम्राट भी माना गया है. वहीं, सम्राट अशोक ने गांव चनेटी में स्तूप वनवाया था फिर 300 साल बाद कुषाण सम्राटों ने इसको भव्य रूप दिया. स्तूप के चारों दिशाओं में चार रथिकाएं है. रथिकाएं में बुद्धा की मूर्तियां रखी जाती हैं. बाद में विदेशी आक्रमण और प्राकृतिक विपदाओं के प्रहार से काफी नुकसान हुआ है.

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