सरकारी स्कूल के बच्चों को 3 माह से नहीं मिल रहा मिड डे मील, वादे के मुताबिक! सरकार ने नहीं डाले बच्चों के खातों में पैसे

भिवानी | सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए मिड डे मील की उपलब्धता करवाई जाती है. जिसका उद्देश्य बच्चों को अच्छा और पौष्टिक आहार देना है. लेकिन करीब डेढ़ साल से कोरोना महामारी के कारण स्कूल अधिकतर समय बंद रहे. जिस कारण बच्चों को मिड डे मील का स्वाद चखने को नहीं मिल पा रहा है. हालांकि सरकार द्वारा तमाम अन्य विकल्पों के माध्यम से बच्चों तक मिड डे मील पहुंचाने का प्रयास जरूर किया गया. इस बीच हरियाणा के भिवानी से मिड डे मील वितरण में लापरवाही की खबर सामने आई है.

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प्राप्त जानकारी के मुताबिक, भिवानी जिले में पहली से आठवीं तक के करीब 60 हजार बच्चों को मिड डे मील योजना का फायदा नहीं मिल पा रहा है. दरअसल महामारी की दूसरी लहर के बाद राज्य सरकार ने फैसला लिया था कि मिड डे मील के लिए स्कूली बच्चों के खाते में रुपए भेजे जाएंगे. लेकिन अभी तक किसी भी बच्चे के खाते में रुपए नहीं डाले गए हैं. लिहाजा स्थिति यह है कि अभी तक सरकार द्वारा शिक्षा विभाग को मिड-डे-मील का बजट तक नहीं मिल पाया है और स्कूलों के पास भी बच्चों के खातों की जानकारी उपलब्ध नहीं है. सिस्टम की लापरवाही की वजह से बच्चों को उनकी मूलभूत सुविधा नहीं मिल पा रही है. जबकि महामारी के दौर में बच्चों के लिए पौष्टिक आहार बेहद जरूरी है.

जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी राम अवतार शर्मा का कहना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से बच्चों को मिड डे मील के राशन के रुपए उनके खाते में भेजने की सरकार ने घोषणा की है. इसके लिए विभाग द्वारा व्यवस्था भी बनाई जा रही है. सीधी बात यह है कि सरकार द्वारा मिड डे मील के बदले बच्चों के खातों में रुपए देने की घोषणा तो कर दी गई लेकिन अभी तक शिक्षा विभाग को इस का बजट ही नहीं दिया गया है. मिड डे मील मामले में हुई लापरवाही पर बच्चों के अभिभावकों की भी तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल हुए लॉकडाउन के बाद शिक्षा महानिदेशालय ने स्कूल स्टाफ की ड्यूटी लगाकर सूखा राशन बच्चों के घर-घर तक पहुंचाया था.

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