हरियाणा के मुख्यमंत्री ने दिया MSP पर बयान, गारंटी कानून बनाना संभव नहीं

चंडीगढ़ | हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शुक्रवार को नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है. इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनाना संभव नहीं है.

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पीएम के साथ मुलाकात में प्रदेश के कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की है. जिसमें एमएसपी का विषय प्रमुख था. मुख्यमंत्री ने बताया कि मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) की गारंटी देने वाला कानून बनाना संभव नहीं है, क्योंकि यदि किसानों के उत्पाद को कोई और नहीं खरीदता है. तो सरकार पर ऐसा करने का दबाव बना रहेगा. कृषि कानून की वापसी के एलान के बाद अब किसानों की प्रमुख मांग एमएसपी पर गारंटी कानून बनवाना है.

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एमएससी कानून की किसानों की मांग पर मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि “अब तक इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है, कृषि अर्थशास्त्रियों के भी अलग-अलग विचार है एमएसपी पर कानून बनाना अभी संभव नहीं है. क्योंकि यदि ऐसा किया गया तो सरकार पर यह दायित्व आ जाएगा कि यदि कोई उनके उत्पाद को नहीं खरीदा है तो सरकार को खरीदना पड़ेगा”

मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर दी जानकारी

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यह भी कहा कि “सरकार को फसल की इतनी आवश्यकता नहीं है और इस पर सिस्टम बनाना भी संभव नहीं है हम आवश्यकता के मुताबिक ही खरीद कर सकते हैं”

उन्होंने ट्वीट में लिखा कि दिल्ली में आज आदरणीय प्रधानमंत्री से मुलाकात की जिसमें उनसे हरियाणा में वर्तमान और आगामी विकास कार्यों से लेकर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई.

जाने किन विकास योजनाओं पर हुई चर्चा

मनोहर लाल ने कहां की पीएम ने बाढ़सा में एम्स के कार्यक्रम के दौरान हरियाणा के काम की प्रशंसा की थी उन्होंने इसके लिए पीएम का आभार जताया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में गरीबों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से अंतोदय परिवार उत्थान योजना के तहत अंतोदय ग्राम मेले 29 से 15 दिसंबर तक लगाए जाएंगे. जिसमें उन परिवारों को बुलाया जाएगा जिनकी आय डेढ़ लाख रुपए से कम है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम हरियाणा की आस यानी ऑटो अपील सिस्टम सभी प्रभावित हुए हैं. जिसमें व्यक्ति का कार्य यदि समय से नहीं होता है तो उसकी अपील संबंधित विभाग के उच्च अधिकारियों के पास स्वयं पहुंच जाएगी. इसके अतिरिक्त दृश्य योजना की भी जानकारी दी गई. इस योजना में वन क्षेत्र सहित राजस्व क्षेत्र की मैपिंग वर्ष में दो बार की जाएगी. जिसके माध्यम से राजस्व विभाग के कार्यों पर नजर रखी जाएगी.

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