तीन दिवसीय मानसून सत्र में हरियाणा सरकार 5 विधेयक करेगी पेश, विपक्ष घेरने को तैयार

चंडीगढ़ | हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है. 3 दिवसीय सत्र में हरियाणा सरकार 5 विधेयक पेश करेगी. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बिल यह है कि व्यावसायिक क्षेत्रों में स्थित भूखंडों की फ्लोर के हिसाब से रजिस्ट्री हो सकेगी. मानसून सत्र में भारी हंगामे के भी आसार हैं. कांग्रेस-इनेलो ने जहां सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है. वहीं, सत्ताधारी दल बीजेपी और जेजेपी ने संयुक्त बैठक कर विपक्ष के हर सवाल का मजबूती से जवाब देने की रणनीति तैयार की है.

Haryana CM in Vidhansabha Sadan

सत्र से ठीक एक दिन पहले गुरुवार को बीजेपी और कांग्रेस ने अपने- अपने विधायकों के साथ बैठक की. गुरुवार को ही बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक भी हुई. तय हुआ है कि सत्र 25 से 29 अगस्त तक चलेगा. इस दौरान कुल तीन बैठकें होंगी.

ये होगा इस अधिनियम से लाभ

राज्य सरकार मानसून सत्र में हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास एवं विनियमन द्वितीय संशोधन विधेयक 2023 और हरियाणा शहरी क्षेत्र विकास एवं विनियमन अधिनियम 1975 में संशोधन के लिए विधेयक ला रही है. इस विधेयक के कानून बनने के बाद व्यावसायिक क्षेत्रों में प्लॉटों की फ्लोर के हिसाब से रजिस्ट्री हो सकेगी. हालांकि, एचएसवीपी सेक्टरों में यह नियम पहले से ही लागू है.

इसके अलावा, दूसरा विधेयक नगर निकायों में पिछड़ा वर्ग ए के लिए आरक्षण से संबंधित होगा. विधेयक के मुताबिक, नगर निगम क्षेत्र में चुनाव के समय पिछड़ा वर्ग ए श्रेणी को आरक्षण दिया जाएगा. इसके लिए संबंधित नगर पालिका में पिछड़ा वर्ग ए बाहुल्य क्षेत्रों में इसके लिए वार्ड बनाए जाएंगे. पिछड़ा वर्ग ए के लिए सीटें पूर्व में आरक्षित सीटों में से निर्धारित की जाएंगी. इसके अलावा, तीन अन्य नगर निगम से संबंधित हैं.

ये मुद्दे होंगे हावी

मानसून सत्र में कांग्रेस नूंह हिंसा, बाढ़, सीईटी और बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी. गुरुवार शाम को नेता प्रतिपक्ष भूपेन्द्र सिंह हुडडा की अध्यक्षता में हुडडा के आवास पर विधायक दल की बैठक में सत्र को लेकर मंथन हुआ. इस मौके पर प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान भी विशेष रूप से मौजूद रहे.

विधानसभा में मुद्दे उठाने के लिए अलग- अलग विधायकों की ड्यूटी लगाई गई है. मानसून सत्र में कानून व्यवस्था और नूंह हिंसा और बाढ़ से भारी नुकसान और सरकार के कुप्रबंधन पर चर्चा की मांग को लेकर कांग्रेस की ओर से स्थगन प्रस्ताव दिया गया है.

इसके अलावा बेरोजगारी और सीईटी पेपर में धांधली, परिवार पहचान पत्र की समस्या, कर्मचारियों और क्लर्कों के वेतनमान, शिक्षा की चिंताजनक स्थिति, संपत्ति आईडी में हेराफेरी, सरस्वती नदी की खुदाई, अनुसूचित जाति पर बढ़ते अत्याचार, बाजरे की फसल में वृद्धि का आह्वान नुकसान, बाढ़ मुआवजा, सहकारी आश्रय और भोजन बिक्री, आयुष्मान योजना के घोटाले, फसल बीमा योजना में धांधली और शामलाट और जुमला मल्कान जैसी पंचायतों को भूमि हस्तांतरण आदि मुद्दों पर चर्चा के लिए ध्यान प्रस्ताव दिया गया है.

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