HBSE: पास होने के लिए विद्यार्थी आंसर शीट में लिख रहे अजब- गजब नोट, देखे तस्वीरे

हिसार । 26 और 27 अक्टूबर को आयोजित हुई HBSE के ओपन, रिअपीयर और एडिशनल सब्जेक्ट की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं की आंसर शीट की मार्किंग आरंभ हो चुकी है. इन आंसर शीट की मार्किंग करते समय अजब गजब वाक्य सामने आ रहे हैं. विद्यार्थी आंसर शीट पर ना केवल पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं बल्कि साथ ही एग्जामिनर के लिए विशेष नोट बनाकर विभिन्न बातें लिख कर भेज रहे हैं.

कई विद्यार्थी तो ऐसे हैं जो आंसर शीट के साथ विशेष नोट में फेल किए जाने पर सुसाइड करने की धमकी भी दे रहे है. कई विद्यार्थी फेल होने पर शादी के ना होने का डर जता रहे हैं. बोर्ड अध्यक्ष ने विद्यार्थियों द्वारा आंसर शीट पर इस तरह की बातें लिखे जाने को बिल्कुल गलत बताया है. उन्होंने कठोर शब्दों में कहा है कि ऐसे विद्यार्थियों को उनकी यह गलती बहुत भारी पड़ सकती है.

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सामाजिक की परीक्षा में मिल रहे सबसे ज्यादा केस

मॉडल टाउन में स्थित राजकीय विद्यालय में आंसर शीट की मार्किंग कर रहे एक अध्यापक ने बताया है कि इस तरह के मामले सबसे ज्यादा सामाजिक की परीक्षा की आंसर शीट में देखने को मिल रहे हैं. विद्यार्थी सुसाइड नोट लिखने के साथ-साथ अध्यापकों को बहुत कुछ गलत शब्द भी लिख देते हैं.

एक विद्यार्थी द्वारा लिखा गया नोट है “फेल होने की वजह से मेरे भाई की शादी में बहुत मुश्किल हुई, मेरी दो बहने भी हैं, अगर इस बार मैं भी फेल हो गया तो मेरी भी शादी नहीं हो पाएगी. इसलिए कृपा करके मुझे पास कर दीजिए”. यह नोट 12वीं क्लास के एक विद्यार्थी ने विज्ञान के पेपर में लिखा.

ऐसे विद्यार्थियों के खिलाफ अध्यापक बना सकते हैं UMC

परीक्षा में फेल होने के डर से विद्यार्थी नासमझी में ऐसी गलतियां कर देते हैं लेकिन यह गलतियां उनके लिए बहुत भारी पड़ सकती हैं. यदि कोई विद्यार्थी ऐसी बातें आंसर शीट में लिखता है तो एग्जामिनर चाहे तो उस विद्यार्थी के विरुद्ध UMC भी बना सकता है. विद्यार्थियों द्वारा ऐसी क्रिया करना पूर्ण रूप से गलत है.

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर जगबीर सिंह ने कहा है कि बच्चों में परीक्षा को लेकर एक भय बना हुआ है जिसकी वजह से वे इस तरह की बातें लिखते हैं जो गलत है. उन्हें समझाना चाहिए कि वे मेहनत और खुद पर पूर्ण विश्वास रखें.

हिसार के DEO कुलदीप सिहाग ने कहा है कि बच्चों का भविष्य सिर्फ पास या फेल होने या अंको पर निर्धारित नहीं है. अंको से बढ़कर विद्यार्थी की काबिलियत को निखारना होता है. यह बात बच्चों को स्वयं समझनी होगी. अभिभावकों को भी यह बात समझने की आवश्यकता है कि वह बच्चों पर परीक्षा में पास होने का दबाव न बनाएं.

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