हरियाणा के इस जिले में खुला पहला पीपीपी मोड का सैनिक स्कूल, ऐसे मिलेगा एडमिशन

हिसार | अब हरियाणा का पहला पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड सैनिक स्कूल हिसार- फतेहाबाद की सीमा पर स्थित खारा खेड़ी गांव में खोला गया है. यहां पहले बैच में आए छात्रों ने भी पढ़ाई शुरू कर दी है. इस बार इस स्कूल में प्रवेश परीक्षा के माध्यम से मेरिट प्राप्त करने के बाद अधिकांश छात्र बिहार से आए हैं. यह सैनिक स्कूल हिसार, फतेहाबाद और सिरसा बेल्ट के छात्रों के लिए एक अच्छा अवसर होगा. अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन उनके घर के पास करा सकते हैं.

SCHOOL

बता दें कि सैनिक स्कूल में पढ़कर देश की सेवा करने का सपना हर छात्र का होता है. खासकर ग्रामीण जगह से आने वाले छात्रों के लिए ये स्कूल किसी मंदिर से कम नहीं हैं. लेकिन सैनिक स्कूलों की संख्या सीमित होने के कारण सभी को इसमें प्रवेश नहीं मिल पाता है. एडमिशन मिल भी जाए तो घर से दूर जाना पड़ता है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हरियाणा में दो सरकारी सैनिक स्कूल हैं, एक करनाल के कुंजपुरा में और दूसरा रेवाड़ी में है.

पहले चरण में 10 स्कूलों को शिक्षा सत्र चलाने की दी अनुमति

देश में सरकारी क्षेत्र में रक्षा मंत्रालय के तहत सेना के स्कूल चलते हैं. जिसमें पांच मिलिट्री स्कूल और 33 सैनिक स्कूल शामिल हैं. हाल ही में सैनिक स्कूल सोसायटी ने अपने स्कूलों को बढ़ाने का फैसला लिया है. जिसके तहत 100 स्कूलों को पीपीपी मोड पर शुरू करने का निर्णय लिया गया. इनमें से 21 स्कूलों को पहले चरण में फाइनल किया गया था. लेकिन आगामी कार्यवाही में पहले बैच में केवल 10 स्कूलों को ही प्रवेश लेने की अनुमति दी गई थी. जिसमें से हरियाणा के पहले पीपीपी मोड सैनिक स्कूल को भी अनुमति मिल गई है.

पीपीपी मोड के सैनिक स्कूल ऐसे संचालित होंगे

इन स्कूलों को चलाने के लिए सैनिक स्कूल सोसायटी ने प्राइवेट पार्टनर से स्कूल भवन, जमीन व जमीन की मांग की थी. इन शर्तों को पूरा करने वालों को सैनिक स्कूल बनाने की अनुमति दी गई. स्कूल रक्षा मंत्रालय के तहत सैनिक स्कूल सोसाइटी के समग्र और तकनीकी नियंत्रण में होगा. खारा खेड़ी का सैनिक स्कूल आवासीय होगा, इसके साथ ही इसकी फीस आदि भी सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा ही तय की गई है. इस निजी स्कूल की देखरेख एक अध्यक्ष करता है.हिसार में डॉ. ज्योत्सना अध्यक्ष एवं प्रशासनिक अधिकारी सेवानिवृत्त कर्नल धर्मवीर नेहरा हैं.

मेरिट के आधार पर होगा प्रवेश

जिस तरह सरकारी सैनिक स्कूलों में दाखिले के लिए अखिल भारतीय सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती है, उसी तरह प्रवेश परीक्षा के तहत पीपीपी मोड सैनिक स्कूलों में भी प्रवेश दिया जाएगा. मेरिट में जिस छात्र का नंबर आएगा उसे ही एडमिशन लेने का मौका मिलेगा. इसके साथ ही किसी को किसी भी तरह का कोटा या विशेषाधिकार कोटा नहीं मिलेगा. यहां अच्छी मेरिट ही एडमिशन ले सकती है.

120 सीटें हैं उपलब्ध

प्रशासनिक अधिकारी आर.टी. कर्नल धर्मवीर नेहरा ने बताया कि हिसार में शुरू हुए सैनिक स्कूल में सोसायटी की ओर से कुल 120 सीटें आवंटित की गई हैं. जिसमें से 103 छात्र पहले बैच में शामिल हुए हैं. शेष सीटों के छात्र आगे की काउंसलिंग के जरिए अपग्रेड हो गए और अपने घर के नजदीकी सैनिक स्कूल में चले गए. इस बार देरी के कारण सिर्फ तीन काउंसलिंग ही हो सकी. इस बैच में 86 लड़के और 17 लड़कियों ने दाखिला लिया है. जिसमें सबसे अधिक संख्या में बिहार, बाकी मणिपुर, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के कैडेट अब यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

एनडीए के लिए कैडेट्स तैयार करना है लक्ष्य

सरकारी क्षेत्र के सैनिक स्कूलों का उद्देश्य अपने कैडेटों को एनडीए के लिए तैयार करना है. अगर एनडीए में सिलेक्शन नहीं होता है तो दूसरे क्षेत्रों के लिए भी तैयारी की जाती है. इसी तरह पीपीपी मोड के इस सैनिक स्कूल का लक्ष्य भी एनडीए की तैयारी करना होगा. जिसके लिए उन्हें प्रेरित किया जाता है और उनके संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं.

छात्र कैडेट्स कहलाते हैं, ड्रिल सैनिकों की तरह होती है

सैनिक स्कूलों की तरह निजी सैनिक स्कूलों का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा निर्धारित किया गया है. यहां छात्रों को कैडेट्स कहा जाता है. यह इस स्कूल का पहला बैच है इसलिए कैडेट्स को कक्षा छह में प्रवेश दिया गया है. कैडेट्स सुबह 5 बजे उठते हैं और शाम 5.30 बजे पीटी ग्राउंड पहुंच जाते हैं. जहां पीटी और ड्रिल की ट्रेनिंग दी जाती है. शाम 7.30 बजे विधानसभा होती है. इसके बाद दोपहर 1.30 बजे तक सीबीएसई पैटर्न के अनुसार पढ़ाई होती है.

लंच के बाद इन कैडेट्स को एकेडमिक प्लस करिकुलम के तहत ट्रेनिंग दी जाती है. जिसमें चरित्र निर्माण, नैतिक शिक्षा, नैतिकता, राष्ट्रीयता की भावना, संस्कृति, प्राथमिक उपचार, अग्निशमन और सर्वांगीण विकास को पात्र बनाया गया है. इसके बाद शाम को तरह-तरह के खेल सिखाए जाते हैं. इसके बाद रात के खाने के बाद और फिर तैयारी के समय में रात 10 बजे तक फिर से क्लास में जाकर पढ़ाई करते हैं. सभी को ठीक 10 बजे सोना होता है.

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