हरियाणा के इस खरबूजे की पूरे भारत में डिमांड, स्वाद में मिठास व पहचान है एकदम खास

चंडीगढ़ | हरियाणा के कैथल के सीवन क्षेत्र के अधिकतर गांवों में तरबूज और खरबूज की खेती बहुतायत मात्रा में होती है. खास मिठास के लिए प्रसिद्ध यहां के तरबूज और खरबूजे की दूसरे राज्यों में भी खूब मांग है. सीवन से हरियाणा के अलावा पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ़ सहित अन्य राज्यों में इसकी आपूर्ति होती है.

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सब्जी के लिए फैमस है सीवन क्षेत्र

दरअसल, हरियाणा का सीवन क्षेत्र सब्जी के लिए जाना जाता है. इसके साथ ही, सीवन के गोबिंदपुरा, गोबिंदगढ़, सीवन, फिरोजपुर, मलिकपुर क्षेत्र में खरबूजे की काश्त किसानों द्वारा मल्चिंग विधि से की जाती है. इससे किसान सीजन में दो से पांच लाख रुपये तक मुनाफा कमाते हैं. वह भी तब जबकि खरबूजे की फसल खेतों में खड़ी ही बिक जाती है. बाहर के व्यापारी खेतों से ही खरबूजा स्वयं ही तुड़वा कर ले जाते हैं. पूरे खेत का सौदा एक ही साथ हो जाता है.

काफी लाभदायक होता है खरबूजा उत्पादन: किसान

किसान जरनैल सिंह ने बताया कि वह हर वर्ष 5 से 7 एकड़ खरबूजे की काश्त करते हैं. वह बोबी, गोल्डन ग्लोरी व अन्य किस्में लगाते हैं. वहीं सीवन निवासी किसान विरेंद्र मेहता ने बताया कि ढाई एकड़ में खरबूजे की फसल उगाई है. इससे वह करीब दो लाख रुपये कमा लेते हैं. फर्शमाजरा निवासी वीरेंद्र यादव ने बताया कि खरबूजे का उत्पादन काफी लाभदायक हैं.

गोल्डन ग्लोरी खरबूजा स्वाद में होता है एकदम मीठा

डेरा किशने वाली कुई के किसान नवदीप ने बताया कि उन्होंने इस बार पांच एकड़ में खरबूजे की काश्त की है. इस बार उन्होंने दो किस्मों के खरबूजे गोल्डन ग्लोरी व फार्मर ग्लोरी लगाए हैं. दोनों ही किस्मों के खरबूजे अधिक मिठास वाले और बड़े साइज के होते हैं. गोल्डन ग्लोरी खरबूजा बड़े आकार व मीठा होता है. इस खरबूजे एक एक- एक पीस दो किलो तक हो जाता है. यह खरबूजा इस बार 11 से 13 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है.

शरीर के लिए काफी पोष्टिक होता है यह खरबूजा

किसान राजेश ने बताया कि खरबूजे की मांग को देखते हुए उन्होंने अपने खेत में बॉबी खरबूजा और गोल्डन ग्लोरी किस्म का खरबूजा लगाया था. बॉबी खरबूजा छोटे साइज का होता है और अगेती किस्म का होता है. यह खरबूजा सबसे पहले बाजार में आ जाता है और एडवांस में आने के कारण इसके दाम भी अच्छा मिलता है. यह खरबूजा शरीर के लिए कापी पोष्टिक भी होता है.

मल्चिंग विधि और इसके लाभ

किसानों ने बताया कि खेत, क्यारी, गार्डेन, बार्ड या गमले की खुली मिट्टी को ढकने की प्रक्रिया को मल्चिंग कहते हैं. जिस मैटेरियल से इसे ढंका जाता है उसे मल्च कहते हैं. इसका उपयोग मिट्टी में नमी बनाए रखने, खरपतवारों को दबाने, मिट्टी को ठंडा रखने और सर्दी के मौसम में पाले से पौधों को बचाने के लिए किया जाता है.

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