आपसी फूट: भारतीय किसान यूनियन ने 8 दिसंबर को हो रहे भारत बंद मे शामिल होने से किया इंकार

नई दिल्ली | मोदी सरकार द्वारा लागू किए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे ,किसान संगठनों ने आज यानि 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान कर दिया. इस दौरान किसानों के संगठनों के बीच ही इस मामले को लेकर आपस में ही फूट पड़ती दिखाई दे रही है. आर एस एस (RSS) के साथ मिले

भारतीय किसान संघ ने किसान संगठनों के इस भारत बंद से इंकार करते हुए पूरी ट्रह से दूरी बना ली है. भारत बंद से दूरी बनाने के पीछे के मुख्य कारण से अवगत कराते हुए भारतीय किसान संघ ने कहा है कि जब दोनों ही पक्ष एक बार फ़िर से 9 दिसंबर को दोबारा वार्ता करने के लिए सहमत हुए हैं तो फिर 8 दिसंबर को इस भारत बंद के ऐलान को उचित नहीं समझना चाहिए.

Kisan Andolan Farmer Protest

भारतीय किसान संघ ने अपने अपना पक्ष रखते हुए ब्यान जारी किया है कि अभी तक किसान आंदोलन बिल्कुल सही ढंग से चला है, किन्तु मौजूदा घटनाक्रम इस ओर इंगित कर रहे हैं कि विदेशी ताकतें, राष्ट्रद्रोही तत्व और कुछ राजनीतिक दल इस आंदोलन को अराजकता की तरफ़ मोड़ने का प्रयास लगातार कर रहे हैं.

ये आन्दोलन याद दिलाता है, 2017 की मंदसौर वाली घटना 

​भारतीय किसान संघ ने शंका जताते हुए अपने पक्ष में कहा है कि इस बात का डर है कि उपद्रवी तत्व किसानों के इस आंदोलन को वर्ष 2017 की मंदसौर वाली घटना में न बदल कर दें, जहां छह किसानों को गोलियां मार कर उनकी मृत्यु कर दी गई थी.

जिन लोगों ने आम किसानों को इस हिंसक आंदोलनों में झोंका अब वे नेता तो विधायक और मंत्री बन गए, किन्तु जो जले -मरे उनके परिवार, आज वर्षो पहले हुई बर्बादी का दंश झेल रहे हैं. ऐसे में अगर किसी को आंदोलन से नुकसान हुआ है तो वो सिर्फ़ देश का और किसानों का ही होता है. इसलिए भारतीय किसान संघ ने भारत बंद से अलग हो कर रहने का निर्णय लिया है. अब वे भारत बंद में किसी भी प्रकार से नहीं शामिल होगें.

भारतीय किसान संघ से रखा अपना पक्ष

  • भारतीय किसान संघ का मानना है कि वह तीनों कृषि कानूनों की वापसी आसानी से नहीं कर सकती, यह बहुत ही ज्यादा कठिन काम होगा. ऐसे में वह संशोधन के पक्ष में है और तुरंत संशोधन करने को भी तैयार हो गई है.
  • संशोधन के बाद यहां एम एस पी से नीचे खरीद , व्यापारियों से किसानों को धनराशि की गारंटी भी मिलेंगी, अलग से कृषि न्यायालयों की स्थापना भी जल्द ही की जाएगी.
  • भारतीय किसान संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि देश की जनता अब सब कुछ जान चुकी है वे सब अंजान नहीं है कि पंजाब राज्य सरकार के द्वारा पारित वैकल्पिक बिलों में केंद्रीय कानूनों को निरस्त कर पांच जून से पूर्व की स्थिति बहाल करने का प्रावधान किया जा चुका है.
  • ऐसे में फिर भी पंजाब के किसान नेता तीनों कृषि बिलों को लौटाने के लिए न जाने क्यों यहां ओर डटे हुए हैं.

हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!