मांग बढ़ने से बासमती चावल की कीमतों में बढ़ोतरी, हरियाणा के किसानों को होगा मुनाफा

नई दिल्ली | आगामी खरीफ विपणन सीजन 2023- 24 में बासमती उत्पादकों और व्यापारियों को भरपूर दाम मिलने की संभावना है क्योंकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की सभी सुगंधित लंबे दाने वाली किस्मों की कीमतों में वृद्धि देखी गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग के बाद चावल निर्यातकों की रिपोर्ट के अनुसार, बासमती चावल की कीमतें पिछले साल के ₹83,068 से बढ़कर ₹90,776 प्रति मीट्रिक टन से ऊपर पहुंच गई हैं.

basmati chawal rice

देश से चावल निर्यात में उछाल के बाद घरेलू बाजार में बासमती चावल की कीमत पिछले साल के 70 से 100 रुपये के मुकाबले 80 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर पहुंच गई है.

कीमतें और ज्यादा बढ़ने की संभावना

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APD) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि अप्रैल 2023-24 में भारत ने पिछले वर्ष के 3.19 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले 4.24 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात किया है. इस प्रकार भारत का कुल चावल निर्यात ₹8,204 तक पहुंच गया है. अप्रैल 2023- 24 में बासमती के ₹3,855 करोड़ सहित करोड़ जबकि 2022- 23 में इसी अवधि के दौरान ₹6,144 करोड़.

निर्यात में वृद्धि से व्यापारियों को अच्छा मुनाफा कमाने में मदद मिली है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में भी लगभग ₹7,000 प्रति मीट्रिक टन की वृद्धि देखी गई है. कारोबारी अनुमान लगा रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय चावल की बढ़ती मांग के बाद कीमतें और बढ़ सकती हैं.

किसानों को उपज का मिलेगा अच्छा दाम

परमल या गैर- बासमती चावल के निर्यात और कीमतों में भी वृद्धि हुई है क्योंकि भारत ने पिछले साल के 13.52 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले इस साल कुल 14.2 लाख मीट्रिक टन गैर- बासमती चावल का निर्यात किया है. गैर- बासमती चावल की कीमतें भी इस साल अप्रैल में ₹30,576 प्रति मीट्रिक टन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई जो पिछले साल ₹29,265 प्रति मीट्रिक टन थी.

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने इसे किसानों और व्यापारियों के हित में एक बड़ा संकेत  बताया. अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ने के बाद बासमती और गैर- बासमती चावल दोनों की कीमतें बढ़ी हैं. यहां तक ​​कि भारत का बासमती चावल निर्यात भी बढ़ा है और इस बात की प्रबल संभावना है कि किसानों को इस साल उनकी उपज का अच्छा दाम मिलेगा.

हरियाणा व पंजाब के किसान हैं सबसे ज्यादा उत्पादक

सेतिया ने सरकार से हरियाणा की मंडियों में बासमती धान की खरीद से लेवी हटाने की मांग की क्योंकि इस कदम से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किसानों को इससे फायदा होगा. चूंकि, हरियाणा और पंजाब के किसान बासमती चावल के सबसे बड़े उत्पादक हैं और देश की कुल उपज में लगभग 80% का योगदान करते हैं, इसलिए बढ़ती कीमतों का फायदा उन्हें सबसे ज्यादा होगा.

व्यापारियों ने कहा कि इस साल बासमती की कीमतें फिर से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर रहने की संभावना है, जिससे किसानों को लगातार दूसरे साल अच्छी फसल लेने में मदद मिलेगी. यहां तक ​​कि हरियाणा के करनाल की मंडियों में धान की अति शीघ्र बोई जाने वाली किस्मों की आवक भी शुरू हो चुकी है क्योंकि उत्तर प्रदेश के किसानों ने जल्दी बोई गई धान की कटाई शुरू कर दी है.

आहरटिया एसोसिएशन करनाल के अध्यक्ष रजनीश चौधरी ने कहा कि PUSA 1509 लगभग ₹3,000 प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचा जा रहा है और इस बात की प्रबल संभावना है कि अगले कुछ दिनों में आवक बढ़ने के साथ कीमत और बढ़ सकती है.

गेहूं निर्यात में गिरावट

दूसरी ओर भारत के गेहूं निर्यात में भारी गिरावट आई है जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 14.72 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले अप्रैल 2023- 24 में घटकर 1,631 मीट्रिक टन रह गया. देश में गेहूं के उत्पादन में गिरावट और मांग में बढ़ोतरी के बीच यह बात सामने आई है. AIREA के अनुसार, 130.5 मीट्रिक टन के साथ भारत चीन के बाद दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है.

देश में लगभग 17 लाख हेक्टेयर भूमि से लगभग 9 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन होता है, जिसमें लगभग 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बासमती की खेती होती है. कुल बासमती उत्पादन में हरियाणा की हिस्सेदारी लगभग 42 प्रतिशत है. इसके बाद, पंजाब की 36 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश की 17 प्रतिशत है.

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