Chandrayaan 3: इसरो का चंद्रयान 3 निकला चाँद की ओर, 5 अगस्त को चंद्रमा के कक्ष में लेगा एंट्री

नई दिल्ली | इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रयान 3 को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर भेजा, इसे ट्रांसलूनर इंजेक्शन (TLI) कहा जाता है. इससे पहले चंद्रयान ऐसी अण्डाकार कक्षा में घूम रहा था जिसकी पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 236 किमी और अधिकतम दूरी 1,27,603 किमी थी. अब 5 अगस्त को यह चंद्रमा की कक्षा में पहुंचेगा और 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरेगा. ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए इसरो के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान के इंजन को कुछ देर के लिए चालू किया. इंजन फायरिंग तब की गई जब चंद्रयान पृथ्वी से 236 किलोमीटर की दूरी पर था.

Chandrayaan 3

इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-तीन पृथ्वी के चारों ओर अपनी कक्षा पूरी करने के बाद चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है. इसरो ने अंतरिक्ष यान को आसमान की ट्रांसलूनर कक्षा में फिट कर दिया है. चंद्रयान-3 में तीन मुख्य मॉडल हैं जिनमें लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल शामिल है. इनमें लैंडर और रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारे जाएंगे और 14 दिनों तक वहां प्रयोग किया जाएगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की क्लास में रहकर भूमि से आने वाले विकिरण का की रीडिंग करेंगे. इस उद्देश्य के जरिए इसरो यह पता लगाएगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं. इसके अलावा, वह चांद की मिट्टी को जानेगा.

चंद्रयान-3 का अब तक का सुहाना सफर

  • सबसे पहले 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को 170 किमी x 36,500 किमी की कक्षा में लॉन्च किया गया था.
  • फिर 15 जुलाई को पहली बार कक्षा को बढ़ाकर 41,762 किमी x 173 किमी कर दिया गया.
  • उसके बाद, 17 जुलाई को कक्षा को दूसरी बार बढ़ाकर 41,603 किमी x 226 किमी कर दिया गया.
  • जिसके बाद, 18 जुलाई को कक्षा को तीसरी बार बढ़ाकर 5,1400 किमी x 228 किमी कर दिया गया.
  • दिनांक 20 जुलाई को चौथी बार कक्षा बढ़ाकर 71,351 x 233 कर दी गई.
  • उसके बाद, 25 जुलाई को कक्षा को पांचवीं बार बढ़ाकर 1.27,603 किमी x 236 किमी कर दिया गया.
  • उसके पश्चात, 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि में चंद्रमा ने पृथ्वी की कक्षा छोड़ दी.

14 दिन रात और 14 दिन रोशनी

14 दिन का ही मिशन क्यों? मनीष पुरोहित ने बताया कि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक रोशनी रहती है. जब यहां रात होती है तो तापमान 100 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है. चंद्रयान के लैंडर और रोवर अपने सौर पैनलों से बिजली पैदा करेंगे. इसलिए वे 14 दिनों तक बिजली उत्पादन करेंगे लेकिन, रात होते ही बिजली उत्पादन प्रक्रिया बंद हो जायेगी. यदि बिजली उत्पादन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भीषण ठंड का सामना नहीं कर पाएंगे और खराब हो जाएंगे.

ऐसा करने वाला चौथा देश बनेगा भारत

अगर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिली यानी मिशन सफल रहा तो अमेरिका रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. अमेरिका और रूस दोनों के चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने से पहले कई अंतरिक्ष यान दुर्घटनाग्रस्त हुए थे. चीन 2013 में चांग’ई- 3 मिशन के साथ अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला एकमात्र देश है.

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