Kisan Aandolan: राकेश टिकैत का बड़ा बयान- केन्द्र सरकार बातचीत नहीं करेंगी तो उठाएंगे अगला कदम

नई दिल्ली। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. इस बीच 26 जून को किसान आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर शनिवार को राजभवन पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा. इस बीच गाजीपुर बार्डर से ट्रैक्टर रैली की रिहर्सल पर भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि हम सरकार को सचेत कर रहे हैं कि किसान 26 तारीख को कभी भुलेंगे नहीं.

RAKESH TIKET

हर महीने की 26 तारीख आएंगी और किसान ट्रैक्टरो की रिहर्सल करेगा. टिकैत ने कहा कि कहीं ट्रैक्टर दिल्ली का रास्ता न भूल जाएं, इसलिए इनकी रिहर्सल करनी पड़ती है. इसके साथ ही राकेश टिकैत ने सरकार के साथ बातचीत की उम्मीद भी जताई है. उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि अगर सरकार दोबारा से बातचीत शुरू नहीं करतीं हैं तो अगला कदम उठाया जाएगा. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक भारत सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करेंगी और MSP पर कानून नहीं बनाएगी.

उधर केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि हम कृषि कानूनों पर विचार और सुधार करने के लिए तैयार हैं. जब भी किसान नेता बातचीत के लिए आगे आएंगे तो निश्चित रूप से उनका स्वागत किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों नेताओं के साथ 10-11 दौर की वार्ता हो चुकी है. हमने उनकी परेशानियों को बारीकी से समझने का प्रयत्न किया है. आज भी सरकार का किसानों के प्रति वहीं लगाव है. किसान खुलें मन से बताएं कि किस प्रावधान पर उन्हें आपत्ति है.

गौरतलब है कि किसानों द्वारा 26 जून को गाजीपुर बार्डर पर हल्ला -बोल दिवस मनाया जाएगा. इसके लिए पश्चिमी यूपी से हजारों की संख्या में किसान शनिवार तक गाजीपुर बार्डर पर पहुंच रहे हैं. वहीं भाकियू नेता राकेश टिकैत ने भी ऐलान करते हुए कहा कि किसानों को 26 तारीख भूलने नहीं दी जाएगी.

कोरोना काल के दौरान धीमी हुई किसान आंदोलन की रफ्तार को राकेश टिकैत एक बार फिर धार देने में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि किसान ट्रैक्टर से दिल्ली आने की रिहर्सल कर रहे हैं. यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले तीन सालों में किसान सरकार का इलाज भी करेंगे. उन्होंने केन्द्र की मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अभी कुछ इलाज तो इनका पश्चिमी बंगाल चुनाव में हुआ है तो कुछ यूपी में सम्पन्न हुए पंचायत चुनावों में हुआ है. आगे भी किसान इनका इलाज करते रहेंगे.

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