भारत में अब कोई नहीं रहेगा भूखा, केंद्र सरकार 80 करोड़ गरीबों को देगी आटा; आज से योजना शुरू

चंडीगढ़ | केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने “भारत आटा” की शुरुआत कर दी है. मुख्य मकसद अगले पांच साल तक 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन देने की सस्ते दामों पर आटा और दाल उपलब्ध कराना है. सरकार सोमवार से खुले बाजार से सस्ती कीमत पर भारतीय आटा बेचेगी. इसकी कीमत 27 रुपये प्रति किलोग्राम हो सकती है.

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इस वजह से लिया फैसला

खुले बाजार में गैर ब्रांडेड आटे की खुदरा कीमत 35- 36 रुपये प्रति किलो है, जबकि ब्रांडेड आटा 40- 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. गेहूं की लगातार बढ़ती कीमत के कारण त्योहारी सीजन में आटे की कीमत बढ़ने की संभावना को देखते हुए सरकार ने सस्ती कीमत पर आटा बेचने का फैसला किया है.

सरकार ने इस गेहूं से बने आटे पर अधिकतम 5 रुपये प्रति किलोग्राम का मुनाफा तय किया है. आमतौर पर एक मिल में गेहूं को आटे में बदलने की लागत 1.80- 2 रुपये प्रति किलोग्राम होती है. 1 नवंबर को FCI के बफर स्टॉक में 218 लाख टन गेहूं था इसलिए सरकार के पास गेहूं की कोई कमी नहीं है. भारत आटा को बाजार में लॉन्च करने से आटे की खुदरा कीमत कम हो जाएगी. भारत आटा 10 और 30 किलो के पैक में उपलब्ध कराया जा सकता है.

प्याज, दाल और चीनी की कीमतों पर भी नजर

प्याज, दाल और चीनी की कीमतों पर भी सरकार की नजर है. सरकार देशभर में 250 से ज्यादा जगहों पर केंद्रीय भंडारों और अन्य माध्यमों से 25 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज बेच रही है. खुले बाजार में प्याज की कीमत 80- 90 रुपये प्रति किलो है.

कीमत में राहत की उम्मीद

दूसरी तरफ, दिवाली तक राजस्थान और अन्य जगहों से बाजार में प्याज की आवक बढ़ने से कीमतों में राहत की उम्मीद है. गन्ने की फसल प्रभावित होने से इस बार चीनी उत्पादन में कमी आने की आशंका है. इससे चीनी की कीमत में मजबूती आने की संभावना है. बुआई में कमी के कारण पिछले 2 महीनों से दालों में मजबूती का रुख बना हुआ है और बड़ी मात्रा में दालों का आयात किया जा रहा है.

महंगाई पर काबू पाने का प्रयास

यह कोशिश अगले साल चुनाव तक जारी रह सकती है. सेंट्रल स्टोर में भारत दाल पहले से ही सस्ते दामों पर बेची जा रही है. प्याज, दाल और आटे की बढ़ती कीमतें खुदरा महंगाई दर को बढ़ा सकती हैं, जिसे सरकार किसी भी कीमत पर नियंत्रित करना चाहती है. महंगाई बढ़ने से विपक्षी दलों को चुनाव में सरकार के खिलाफ एक मुद्दा मिल जाएगा. वहीं, बढ़ती महंगाई भी विकास की रफ्तार को कम कर सकती है इसलिए सरकार अपने स्टॉक से 2.5 लाख टन गेहूं केंद्रीय भंडारों और सहकारी भंडारों को 21.50 रुपये प्रति किलो की दर से दे रही है.

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