OP चौटाला का कांग्रेस पर तीखा आरोप कहा- कांग्रेस ने सोचा था मैं जेल में ही मर जाऊंगा, जानिए चौटाला परिवार की पूरी कहानी 

रेवाड़ी । पूर्व CM ओमप्रकाश चौटाला का असली कुनबा उनके बेटे पोते नहीं बल्कि कोई और ही है. खुद पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने असली कुनबे के बारे में बताया है. ओमप्रकाश चौटाला का कहना है कि उनका असली कुनबा उनकी पार्टी है. शनिवार को बावल रोड स्थित वृंदा गार्डन में पत्रकार मिलन समारोह में आए पूर्व CM OP चौटाला ने संगठन मजबूती पर ही पूरा जाेर दिया. इस दौरान पत्रकारों के सवालों का उन्होंने बेबाकी से सीधा- सीधा जवाब दिया.

Om Prakash Chautala

पूर्व CM से जब पत्रकारों ने पूछा कि तीसरे मोर्चे से देशभर के प्रमुख नेताओं को जोड़ा जा रहा है, लेकिन क्या अपने कुनबे को भी जोड़ेंगे. इस ख़ास सवाल पर पूर्व CM चौटाला ने कहा कि हमारा कुनबा, हमारी पार्टी है. अब इसको मजबूत करने का काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा है कि 25 सितंबर को देवीलाल की जयंती के अवसर पर जींद में आयोजित कार्यक्रम में सभी प्रदेशों से मुख्य विपक्षी दलों के नेताओं को बुलाया गया है. समान विचारधारा के इन नेताओं के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा के गठन को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा. उन्होंने कहा कि तीसरा मोर्चा तो निश्चित तौर पर बनकर ही रहेगा. 

कंडेला नहीं था कोई कांड

इनेलो सरकार के समय हुए कंडेला कांड को लेकर पूछे गए सवालों पर चौटाला ने कहा कि कंडेला कोई कांड ही नहीं था. उस समय अगर एक भी किसान की जान गई हो तो भाजपा सरकार साक्ष्य प्रस्तुत करे. उन्होंने कहा कि कांड तो अब भाजपा सरकार के समय हुआ है. जिन अधिकारियों ने किसानों पर लाठीचार्ज कराया उनपर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. 

कांग्रेस ने सोचा था मैं जेल में ही मर जाउंगा

पूर्व CM ओमप्रकाश चौटाला ने अपने भाषण के दौरान कहा है कि 3610 युवाओं को नौकरी लगाने पर कांग्रेस ने उन्हें दस साल के लिए जेल भिजवा दिया था. कांग्रेस ने दुष्प्रचार तक करा दिया था कि चौटाला तो जेल में ही मरेगा लेकिन उनके सपनों पर पानी फिर गया. उन्होंने कहा कि अब अगर उनकी सरकार आती है तो वह हर घर में नौकरी देंगे फिर चाहे फांसी पर ही क्यों न लटका दिया जाए. चौटाला ने कहा कि जब वह सत्ता से बाहर हुए थे तो उस समय हरियाणा के खजाने में दो हजार करोड़ रुपये थे और आज सरकार पर ढाई लाख करोड़ का कर्ज है. टैक्स की रकम से मुट्ठीभर लोगों के खजाने भरे जा रहे हैं. 

फिर छलका जुबां से दर्द

इनेलो से अलग होकर जजपा का गठन करने वाले अजय चौटाला व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को लेकर ओमप्रकाश चौटाला का दर्द एक बार फिर से छलका है. उन्होंने सीधे-सीधे कहा है कि इनेलो पार्टी का पौधा देवीलाल ने लगाया था. जब यह पौधा फल देने लगा तो कुछ लुटेरे उन फलों को लूटकर ले गए. उन लोगों का नाम वह नहीं लेंगे. जो लोग गुमराह होकर इनेलो से अलग हुए हैं उनको कार्यकर्ता वापस लेकर आएं. उन्होंने कहा कि जात पात के भेदभाव से ऊपर उठकर हमें संगठन को मजबूत करना है क्योंकि जात से बड़ी जमात होती है. 

चौटाला परिवार में फूट का आगाज हुआ 2013 में

2013 में चौटाला परिवार में फूट की शुरुआत हुई. बात तब की है, जब देवीलाल चौटाला के बेटे ओमप्रकाश चौटाला और पोते अजय चौटाला जेबीटी घोटाले में 10 साल के लिए जेल गए थे. इसके बाद इंडियन नेशनल लोकदल इनेलो की कमान अभय चौटाला के हाथ में आ गई. 2014 के चुनाव में अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला राजनीति में आए. 2014 में दुष्यंत हिसार लोकसभा सीट से कुलदीप बिश्नोई को हराकर सबसे युवा सांसद बने.

इनेलो से क्यों अलग हुए दुष्यन्त चौटाला ? 

दुष्यंत के सांसद बनने के बाद ही राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी हार गई. बड़ा कारण था दुष्यंत के सांसद बनने के बाद पार्टी का दो खेमों में बंट जाना. पार्टी का एक गुट अभय चौटाला के साथ हो गया और दूसरा दुष्यंत के साथ. 2018 में पार्टी की फूट पूरी तरह से सामने आ गई. ओमप्रकाश चौटाला ने अजय के दोनों बेटों दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से बाहर निकाल दिया. इनेलो की कमान अभय के पास पूरी तरह से आ गई.

दुष्यंत ने बनाई जजपा नई पार्टी

दिसंबर 2018 में दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी की नींव रखी. जेजेपी को आगाज करते ही हार का सामना करना पड़ा. 2019 जनवरी में हुए जींद उपचुनाव में जेजेपी उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला भाजपा से हार गए. इसबार एक तरफ दुष्यंत और दिग्विजय हिसार और सोनीपत से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं तो वहीं अभय चौटाला के बेटे करण चौटाला भी चुनाव मैदान में हैं.

हरियाणा की राजनीति की धुरी थे देवीलाल? 

माना जाता है एक जमाने में हरियाणा में देवीलाल की राजनीति में तूती बोलती थी. करीब 4 दशकों तक इनके परिवार ने राज्य की राजनीति को तय किया है. आज भी राज्य में मजबूत पकड़ बना रखी है. इनकी तीसरी और चौथी पीढ़ी राजनीतिक मैदान में है. देवीलाल का जन्म हरियाणा के सिरसा जिले के तेजाखेड़ा गांव में वर्ष 1912 में हुआ था. 15 साल की उम्र में वे देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए. 1930 में महात्मा गांधी के आंदोलन में शामिल हुए तो जेल जाना पड़ा. 1938 में देवीलाल कांग्रेस में शामिल हुए. 1942 में देवीलाल को ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान करीब दो साल तक जेल में रहना पड़ा.  

कौन-कौन हैं देवीलाल चौटाला के खानदान में?

(1) देवीलाल के चार बेटेः ओमप्रकाश चौटाला, स्व. प्रताप चौटाला, रंजीत सिंह (कांग्रेस) और स्व. जगदीश चौटाला.

(2) ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटेः अजय और अभय चौटाला.

(3) अजय और अभय के दो-दो बेटे

(4) अजय चौटाला के बेटेः दुष्यंत और दिग्विजय. दोनों राजनीति में.

(5) अभय चौटाला के बेटेः कर्ण और अर्जुन. दोनों राजनीति में.

(6) प्रताप चौटाला के दो बेटेः रवि और जितेंद्र. दोनों बिजनेसमैन.

(7) रंजीत सिंह के दो बेटेः गगनदीप और स्व. संदीप सिंह. गगनदीप बिजनेसमैन.

(8) जगदीश चौटाला के तीन बेटेः आदित्य (भाजपा), अभिषेक (वकील) और अनिरुद्ध (वकील)

गौरतलब है पूर्व CM चौटाला से पत्रकारों ने पूछा कि तीसरे मोर्चे से देश भर के प्रमुख नेताओं को जोड़ा जा रहा है. क्या आप अपने कुनबे को भी जोड़ेंगे? इस बात पर पूर्व CM चौटाला ने कहा हमारा कुनबा हमारी पार्टी है. 

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