खेलो इंडिया यूथ गेम्स: हरियाणा की इन 6 लड़कियों की कहानी सुनकर आप भी ठोकेंगे सलाम

सोनीपत । हरियाणा की लड़कियों ने अपने परिवार की मदद से वह कर दिखाया जो लाखों लोगों का सपना देखा है. श्रमिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की ये लड़कियां हरियाणा टीम की ओर से खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भाग ले रही हैं. प्रीतम सिवाच की अकादमी में सभी अभ्यास करती हैं. उनमें से एक के पिता कैंटीन में चाय बनाते हैं, जबकि मां काम में मदद करती है. इसी तरह एक खिलाड़ी के पिता ड्राइवर हैं.

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हैरान करने वाली बात यह है कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भाग ले रही हरियाणा की महिला हॉकी टीम में छह खिलाड़ी दिल्ली से सटे सोनीपत जिले के हैं. इनमें से पांच खिलाड़ियों के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. वे किसी तरह अपना गुजारा करते हैं.

इनमें खेलो इंडिया यूथ गेम्स टीम की सदस्य साक्षी, नंदनी, तमन्ना, मनीषा, कनिका और निधि सोनीपत की रहने वाली हैं. इसके साथ ही टीम में खेल रही गुरुग्राम की डिंपल भी सोनीपत में रहकर प्रीतम की एकेडमी में प्रैक्टिस कर रही हैं.

वहीं, इनमें से एक खिलाड़ी साक्षी के पिता टीकाराम कन्या महाविद्यालय के छात्रावास की कैंटीन चलाते हैं, जबकि मां कैंटीन में घर के कामों में उनकी मदद करती हैं. वहीं टीम के खिलाड़ी नंदनी के पिता मजदूरी करते हैं. वह घरों को पेंट करते है. इस आय से वह अपनी बेटी की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. इसके अलावा डिंपल के पिता सिक्योरिटी गार्ड का काम करते हैं.

खेल भावना से प्रेरित होकर गांव नाहरी के दो किसान भी अपनी बेटियों को हॉकी के गुर सीखने के लिए रोजाना भेजते हैं. वहीं टीम में शामिल कनिका सिवाच कोच प्रीतम सिवाच की बेटी हैं. भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान प्रीतम सिवाच ने बताया कि उनकी अकादमी में इस समय करीब 300 हॉकी खिलाड़ी हैं. इनमें ज्यादातर गरीब परिवारों की बेटियां हैं।

कई परिवारों की हालत ऐसी है कि उन्हें खाने-पीने और खेल आयोजनों का खर्चा खुद की जेब से देना पड़ रहा है, इसलिए उन्होंने सभी खिलाड़ियों के लिए कोई कोचिंग फीस नहीं रखी है. वह सभी को फ्री कोचिंग दे रही हैं.

प्रीतम सिवाच ने बताया कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक दर्जन खिलाड़ियों को देश के लिए तैयार किया है. नेहा गोयल, निशा वारसी, शर्मिला और ज्योति भारतीय महिला हॉकी टीम की स्टार खिलाड़ियों के पास ही कोचिंग लेती थीं. इसके अलावा महिमा, प्रीति, श्वेता, किरण दहिया, प्रिया सरोहा, मोनिका, ज्योति गुप्ता समेत कई अन्य लड़कियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रही हैं.

राज्य की टीम ने जीता एक मैच

प्रीतम सिवाच ने बताया कि हरियाणा के पूल में दिल्ली, ओडिशा और बिहार की टीमें हैं. हरियाणा की टीम दिल्ली को 8-0 से हराकर आगे बढ़ी, लेकिन ओडिशा के साथ कड़े मुकाबले में टीम को 1-0 से हार का सामना करना पड़ा. अब टीम का अगला मैच बिहार से है. सेमीफाइनल में टीम का सामना झारखंड से होगा.

दो बेटियों का हॉकी में दमदार प्रदर्शन

ठगांव नाहरी के किसान वेदप्रकाश की बेटी निधि और नफे सिंह की बेटी मनीषा हर दिन हॉकी के गुर सीखने के लिए गांव से 36 किलोमीटर की दूरी पर सोनीपत प्रीतम की यात्रा करती हैं. पहले दोनों सोनीपत में हॉस्टल में रहते थे, लेकिन अब दोनों गांव से ही आते-जाते हैं. पहलवान रवि दहिया द्वारा टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद गांव नहरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिली है. अब निधि और मनीषा हॉकी खेल रही हैं.अपनी मेहनत के दम पर दोनों हॉकी में जगह बना रहे हैं.

ऐसी है पारिवारिक स्थिति

निधि

गांव नाहरी के किसान वेदप्रकाश की बेटी निधि गांव के स्कूल में खिलाड़ियों को खेलते देख हॉकी खेलने लगी. निधि के परिवार में कोई खिलाड़ी नहीं है. पिता वेदप्रकाश ने बेटी की इच्छा का सम्मान किया और उसका पूरा साथ दिया. तब से निधि पूरे समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ लगातार खेल में सुधार कर रही हैं.

मनीषा

ग्राम नाहरी के किसान नफे सिंह ने निधि को खेलते देख अपनी बड़ी बेटी को हॉकी खिलाड़ी बनाने का फैसला किया था. लेकिन बेटी को हॉस्टल पसंद नहीं आया और वापस आ गई. इसके बाद उन्होंने हॉकी को अपनी छोटी बेटी मनीषा को सौंप दिया. मनीषा अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है.

डिंपल

सोनीपत निवासी अखिलेश कुमार एक कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड हैं. परिवार के लिए आजीविका का एकमात्र स्रोत उनका वेतन है.कोच प्रीतम ने डिंपल की मां को अपनी बेटी को हॉकी खिलाड़ी बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. इसके बाद परिवार ने उनकी शिक्षाओं को स्वीकार किया और डिंपल को हॉकी की कोचिंग दिलानी शुरू कर दी.

नंदनी

सोनीपत निवासी श्रवण कुमार लोगों के घरों में पेंटिंग कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. पड़ोसी लड़कियों को हॉकी खेलने जाते देख नंदनी ने भी हॉकी खेलने का फैसला किया. पिता की आमदनी कम होने के कारण वह बेटी को प्रीतम के पास ले गया और उसे कोचिंग दिलानी शुरू की.

साक्षी

आर्य नगर के रहने वाले सतपाल सिंह टीकाराम गर्ल्स कॉलेज में छोटी कैंटीन चलाते हैं. दिन भर में चाय और समोसे बनाते हैं. उनकी पत्नी भी काम में उसकी मदद करती है. हॉस्टल में खिलाड़ियों से प्रेरित होकर उन्होंने अपनी बेटी को कोच प्रीतम के नेतृत्व में कोचिंग देना शुरू किया. अब बेटी राज्य की टीम में है.

तमन्ना यादव

गुरुग्राम निवासी सुरेंद्र सिंह हरियाणा पुलिस में सिपाही है. उनकी ड्यूटी स्टेडियम के पास होने के कारण वह रोजाना खिलाड़ियों को खेलते हुए देखते थे. इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी को हॉकी खिलाड़ी बनाने के लिए प्रीतम के पास के हॉस्टल में छोड़ दिया. अब बेटी अपनी लगन और मेहनत से खेल में सुधार कर रही है.

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