सोनीपत में प्यारेलाल के पेड़े की 93 साल से चल रही दुकान, विदेशों में भी है डिमांड

सोनीपत | हरियाणा के जिला सोनीपत में प्यारेलाल की पेड़ा की दुकान 1930 से चल रही है. आज तीसरी पीढ़ी इस दुकान में पेड़ा बनाकर बेच रही है. प्यारेलाल के पेड़े न केवल हरियाणा में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं. अगर सोनीपत आते हो और प्यारेलाल के पेड़े नहीं खाते हो तो सोनीपत आने का लाभ नहीं. यह कहावत आज से नहीं बल्कि 93 साल पहले से मशहूर है.

Pyarelal Ke Pede Sonipat

ऐसे हुई थी शुरुआत

कहा जाता है कि 1930 में प्यारेलाल ने एक कड़ाही में दूध उबालकर मेवे निकाले थे और उसमें कुछ मीठा मिलाया था. जब उन्होंने इसे खाना शुरू किया तो उन्हें खाने में लाजवाब लगा और तभी से प्यारेलाल ने पेड़े बनाने का काम शुरू किया. पहले एक छोटी सी दुकान से काम शुरू किया. जैसे-जैसे लोगों को पेड़ों का स्वाद पसंद आने लगा दुकान भी बढ़ती गई, ऐसा करते- करते 93 साल बीत गए.

समय से साथ हुआ ये बदलाव

प्यारेलाल के बाद उनका बेटा और अब उनका पोता यानी तीसरी पीढ़ी पेड़े बेच रही है. पोते सागर ने बताया कि उनकी दुकान के पेड़े की खासियत यह है कि एक बार बनने के बाद यह 1 महीने तक खराब नहीं होता है. बताया कि उनके दादा ने 1930 में दुकान शुरू की और उनके बाद पिता सत्य प्रकाश और अब दोनों भाई पेड़े बेचते हैं. आधुनिकता के साथ पहले प्यारेलाल की दुकान पर सिर्फ दूध और पेड़ा ही मिलता था लेकिन आज लस्सी और अन्य मिठाइयां भी मिलने लगी हैं.

50 रुपए का है एक पेड़ा

सागर ने बताया कि पेड़े की डिमांड कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी है. पेड़े का स्वाद आज भी वैसा ही है जैसा पहले हुआ करता था. कभी लोग 22 रुपये में पेड़े खाते थे और आज 50 रुपये में पेड़े खाते हैं, लेकिन स्वाद वही रहता है. इस वजह से दूर- दूर से लोग पेड़ा खाने और अपने परिजनों के पास ले जाने के लिए सोनीपत पहुंचते हैं. रोजाना बड़ी संख्या में भीड़ देखने को मिलती है.

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